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कंकड़बाग और राजेंद्र नगर इलाके में पीने लायक नहीं है पानी, टायफायड और जॉडिस का खतरा Patna News

पटना के कंकड़बाग और राजेंद्र नगर का पानी पीने लायक नहीं है। एक रिपोर्ट में पता चला है कि इन इलाकों में रह रहे लोगों को मिलने वाले पानी में बैक्टीरिया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 09:15 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 09:15 AM (IST)
कंकड़बाग और राजेंद्र नगर इलाके में पीने लायक नहीं है पानी, टायफायड और जॉडिस का खतरा Patna News
कंकड़बाग और राजेंद्र नगर इलाके में पीने लायक नहीं है पानी, टायफायड और जॉडिस का खतरा Patna News

पटना, जेएनएन। इस साल पटना में हुई भारी बरिश का असर अब भी देखने को मिल रहा है। राजधानी दो इलाकों के लोग अब भी इस दंश से नहीं उबर पा रहे हैं। पटना के राजेंद्रनगर और कंकड़बाग इलाके का पानी जलजमाव के कारण काफी दूषित हो गया है। पानी में बैक्टीरिया पाया गया है, जो पानी को पीने लायक नहीं रहने देता। विशेषज्ञों के अनुसार अक्टूबर में लगभग 10 दिनों तक इन इलाकों में जलजमाव के कारण पानी दूषित हुई है।

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नगर निगम के जलापूर्ति शाखा के द्वारा एक माह पहले शहर के 112 पंपों से पानी जांच के लिए छज्जूबाग स्थित पीएचईडी की प्रयोगशाला में भेजी गई थी। इसमें कंकड़बाग और राजेंद्र नगर इलाके के 12 जगहों का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया। निगम के अनुसार, पानी की 16 मानकों पर जांच की गई थी। हालांकि कंकड़बाग व राजेंद्र नगर के अतिरिक्त अन्य इलाकों का पानी मानक पर खरा उतरा है।

दो इलाकों के पानी में जीवाणु की मात्रा अधिक

भारतीय मानक ब्यूरो ने भी बीते दिनों राजधानी के पानी को प्रदूषित बताते हुए पीने लायक नहीं बताया था। इसके तुरंत बाद यह जांच रिपोर्ट आने के बाद निगम की चिंता बढ़ गई है। जल पर्षद के कार्यपालक अभियंता राजबल्लभ साहू ने बताया कि कंकड़बाग और राजेंद्र नगर इलाके की पानी में जीवाणु की मात्रा अधिक पायी गई है। निगम के कार्यपालक अधिकारी सह जनसंपर्क अधिकारी सुशील मिश्र ने कहा कि पिछले महीने जलजमाव को देखते हुए निगम के जलापूर्ति पंपों का पानी जांच के लिए भेजा गया था जिसकी रिपोर्ट मिल गई है। जांच में लगभग दस-बारह जगहों का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया है।

कोलीफॉर्म, ई-कोलाई, सिडोमोनास की पहले भी हुई है पुष्टि

पटना के पानी में ई-कोलाई, कोलीफॉर्म ग्रुप के बैक्टीरिया और सिडोमोनास बैक्टीरिया के मिलने की पुष्टि पहले भी हो चुकी है। एएन कॉलेज की ओर से करीब दो वर्ष पहले राजधानी के चापाकल व नल के साथ गंगा के पानी का भी सैंपल लिया गया था जिसमें सिडोमोनास बैक्टीरिया पाया गया था। इससे ग्रसित मरीज पर नॉर्मल दवा असर नहीं करती है। इससे सेप्टीसीमिया, टायफाइड फीवर, बी-कोलाई, पेट की गड़बड़ी सहित कई अन्य गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। उस समय नयाटोला, फुलवारीशरीफ, बोरिंग रोड, शिवपुरी, कंकड़बाग, राजापुर पुल, आकाशवाणी, आशियाना रोड, खाजपुरा, इंद्रपुरी, कंकड़बाग व राजेंद्रनगर से पानी के 26 से अधिक नमूने लिए गए थे। इसमें 17 नमूने पीने योग्य नहीं मिले। इनमें कोलीफॉर्म, इंटेरोबैक्टीरिया, क्लेबसिला, सालमोनेला आदि पाया गया था जो काफी खतरनाक माना जाता है।

उबाल कर करें पानी का इस्तेमाल

पीएमसीएच के मुख्य आकस्मिक चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अभिजीत सिंह ने बताया कि बैक्टीरिया वाला पानी पीने से टायफायड, जॉडिस, हेपटाइटिस सहित पेट से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। इससे बचाव के लिए पानी को उबाल कर पीना चाहिए।


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