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कामेश्वर चौपाल राम मंदिर भूमि पूजन में भाग लेने रवाना, बोले- बिहार के लिए गौरवान्वित क्षण

बिहार के कामेश्वर चौपाल पांच अगस्त को अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यकम में हिस्सा लेने के लिये रविवार को पटना से अयोध्या रवाना हुए।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 05:58 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 05:58 PM (IST)
कामेश्वर चौपाल राम मंदिर भूमि पूजन में भाग लेने रवाना, बोले- बिहार के लिए गौरवान्वित क्षण
कामेश्वर चौपाल राम मंदिर भूमि पूजन में भाग लेने रवाना, बोले- बिहार के लिए गौरवान्वित क्षण

पटना, जेएनएन। श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन और शिलान्यास के कार्यकम में हिस्सा लेने के लिये रविवार को पटना से प्रस्थान कर गए। भाजपा के बांकीपुर विधायक नितिन नवीन के आवास पर कामेश्वर चौपाल का स्वागत एवं अभिनंदन और अयोध्या के लिये प्रस्थान कार्यकम का आयोजन किया गया। चौपाल को जय श्री राम के जय घोष के बीच अयोध्या के लिये विदा किया गया। इस दौरान पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू, विधायक अरुण सिन्हा, विधायक संजीव चौरसिया, विधायक नितिन नवीन आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। 

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दही से मुंह मीठा करा किया विदा

श्री श्री रामनवमी शोभायात्रा अभिनन्दन समिति के अध्यक्ष सरदार जगजीवन सिंह 'बबलू' ने कामेश्वर चौपाल को पगड़ी पहनाकर और नारियल, अक्षत, टीका तथा चांदी के 11 पान के पत्ते देकर स्वागत किया। साथ ही दही से मुंह मिठा कराया। बांकीपुर विधायक नितिन नवीन ने कहा की अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मंदिर का शिलान्यास हमारी सांस्कृतिक विरासत की जीत है। श्री राम मंदिर निर्माण से हिन्दुओं के 492 वर्षों के त्याग तप और संघर्ष को विराम मिला है। 

रक्षा बंधन के अवसर को बनाया और भी खास

श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा कि बिहार मिथिला की धरती से जन्मी माता सीता के मायका रहा है। इस नाते विशेषकर रक्षा बंधन का यह अवसर पूरे बिहार वासियों के लिये एक गौरवान्वित क्षण है। कभी माता सीता को हमारे पूर्वजों ने रक्षा सूत्र के बदले उनके मान सम्मान और खुशहाली का वचन दिया होगा, ये दिन उसी की देन है। कार्यकम के दौरान जय श्रीराम का उद्घोष होता रहा। गौरतलब हो कि कामेश्वर चौपाल 1989 में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रथम शिला पूजन के साक्षी रहे हैं। 31 वर्षों बाद मंदिर निर्माण के भूमि-पूजन में एक बार फिर शामिल होने अयोध्या जा रहे हैं।


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