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बिहारः 1500 रुपये रोज और आने के लिए ट्रेन का AC टिकट, कोरोना के मामले कम होते ही नौकरी के ऑफर

उद्योग को मानव बल की आवश्यकता होती है तब सबसे पहले बिहार याद आता है। पिछले साल की तरह इस साल भी संक्रमण कम हो रहा है और उद्योग पटरी पर लौट रहा है। ऐसे में कम्पनियां कामगारों को फिर से वापस बुलाने लगी हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 10:31 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 10:31 AM (IST)
बिहारः 1500 रुपये रोज और आने के लिए ट्रेन का AC टिकट, कोरोना के मामले कम होते ही नौकरी के ऑफर
कोरोना के मामले कम होते ही नौकरी के ऑफर आने लगे हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, बक्सर : बिहार केवल मजदूर नहीं, स्किल पैदा करता है। यही वजह है कि उद्योग को मानव बल की आवश्यकता होती है तब सबसे पहले बिहार याद आता है। पिछले साल की तरह इस साल भी संक्रमण कम हो रहा है और उद्योग पटरी पर लौट रहा है। ऐसे में कम्पनियां कामगारों को फिर से वापस बुलाने लगी हैं। उन्हें अतिरिक्त समय समेत हजार से पंद्रह सौ रुपये प्रतिदिन तक के ऑफर दे रहे है। साथ में आने के लिए एसी टिकट तक के ऑफर मिल रहे हैं।

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सिमरी के ओमप्रकाश राय अहमदाबाद में ऑटोमोबाइल पार्टस बनाने वाली एक कंपनी में काम करते हैं। उनकी कंपनी कार कंपनियों को पाट्र्स सप्लाई करती है। लॉकडाउन में कार फैक्ट्री कुछ दिनों के लिए बंद हो गई और पार्टस का डिमांड नगण्य हो गया। अब बाजार खुलने लगे और देशभर से कार की डिमांड आने लगी तो पार्टस कम पड़ने लगे। स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने पहुंचे ओमप्रकाश ने बताया कि कंपनी पर सप्लाई का दबाव है और हर कीमत पर कामगारों को बुला रहीं हैं। उन्हें भी आने के लिए सेकंड एसी की टिकट दिया गया है। स्टेशन पर ओमप्रकाश जैसे बहुतेरे कामगार हैं जो वापस अपने कार्यस्थल की ओर लौट रहे हैं। कुछ ऐसी भी कंपनियां हैं, जिन्होंने पिछले साल कामगारों का कद्र नहीं की और अचानक कंपनी का शटर गिरा उन्हें चलता कर दिया, अब उन्हें वापस आने के लिए मान-मनौव्वल कर रहीं हैं। 

पिछले साल पैदल चलकर आने को मजबूर हुए थे कामगार

पिछले साल लॉक डाउन में मजदूरों को कम्पनियां जबरन भगा दी थी। उनकी स्थिति किसी से छुपी नही है। एक हजार से अठारह सौ किलोमीटर तक कामगार पैदल चल कर घर पहुंचे थे। हालांकि, इस साल ट्रेनों के चलने से वैसी स्थिति देखने को नहीं मिली। इस संबंध में हरेराम यादव ने बताया कि वे दिल्ली की लीला कम्पनी में काम करते थे। कम्पनी चप्पल बनाती है। वह कम्पनी अपनी उत्पादन बढ़ाने के लिए वापस बुला रही है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में स्थानीय स्तर पर कामगार मिल नहीं रहे है। इससे कम्पनियों की कमाई प्रभावित हो गई है। पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र तक की कम्पनियों मे बिहार और उत्तर प्रदेश के कामगारों की भागीदारी सत्तर प्रतिशत तक होती थी। उन कम्पनियों की जिले के दर्जनों कामगारों के पास कम्पनियों के फोन आने शुरू हो गए हैं। उत्पादन कम होने से बाजार में सामान कम आ रहा है। इस वजह से लोगो को वस्तुएं महंगी मिल रही हैं। इसी को कम करने के लिए कम्पनियों को कामगारों की जरूरत है। 


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