गरीबों के लिए रश्मिरथी बन रहीं जीविका दीदियां, मात्र 10 दिनों में कर दिया कमाल-जानें
रीबों की जिंदगानी में रश्मिरथी बनकर जीविका की दीदियां आईं हैं। ये सरकार की कोई मुलाजिम नहीं हैं पर संकट काल में शासन के लिए सशक्त तंत्र साबित हो रहीं हैं। जानें कैसै-
श्रवण कुमार, पटना। कोरोना कोलाहल के बीच काली अंधियारी रात के समान कट रही गरीबों की जिंदगानी में रश्मिरथी बनकर जीविका की दीदियां आईं हैं। मास्क देने से लेकर राशन मुहैया कराने की फिक्र हो या गरीबों के घरों को सैनिटाइज करने से लेकर स्वच्छ रहने के लिए साबुन और हर्बल सैनिटाइजर देने की पहल। सबकुछ कर रही हैं ये जीविका की दीदियां। ये सरकार की कोई मुलाजिम नहीं हैं, पर संकट काल में शासन के लिए सशक्त तंत्र साबित हो रहीं हैं। कोरोना से लड़ाई में दिन-रात सरकारी बाबूओं के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।
दिन रात एककर बनाए लाखों मास्क
पटना जिले के 33,336 स्वयं सहायता समूह से कुल 3,92,000 जीविका दीदियां जुड़ी हैं। संक्रमण की शुरुआत के साथ ही जब मास्क की जरूरत हुई, तब इन दीदियों ने दिन-रात एक कर एक लाख 39 हजार 944 मास्क बना डाला। 23 प्रखंडों की 448 जीविका परिवार ने मिलकर मास्क बनाया। राशन कार्ड विहीन परिवारों तक जब राशन पहुंचाने की बात हुई, तब सर्वे के लिए सरकार ने भी जीविका को ही जिम्मेदारी सौंपी। अपने दायित्व को पूरा करते हुए जीविका ने दस दिन में ही घर-घर सर्वेक्षण कर 1,05,598 परिवार को चिह्नित कर सूची सरकार को सौंप दी।
पहले खुद से की पहल, फिर प्रशासन ने सराहा
जीविका दीदी प्रियंका देवी कहती हैं, सेवा की इच्छा से पहले तो मास्क बनाकर घर-घर बांटना शुरू किया। जब प्रशासन को पता चला तब मास्क बनाने के ऑर्डर मिलने लगे। अधिसंख्य दीदियां मास्क बनाने लगीं।
सूती कपड़े से बने मास्क धोने में होते हैं आसान
संचार जीविका की प्रबंधक अर्चना खुशी बताती हैं, जीविका दीदियों के मास्क उत्तम गुणवत्ता के होते हैं। सूती कपड़े से बने मास्क को इस्तेमाल कर धोया भी जा सकता है। सूखने के बाद दुबारा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सर्वेक्षण के दौरान भी दीदियों का कार्य प्रशंसनीय रहा है।