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विवाद से दूर रहने को उपचुनाव से पीछे हटा JDU, 'त्याग' को आगे भुना सकती पार्टी

बिहार में उपचुनाव की राजनीति गरमाई हुई है। गठबंधनों में खींचतान भी चल रही है। इस बीच जदयू ने किसी सीट पर प्रत्‍याश्‍री नहीं खड़ा करने कर घोषणा की है। जानिए कारण।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 12 Feb 2018 10:24 AM (IST)Updated: Mon, 12 Feb 2018 09:58 PM (IST)
विवाद से दूर रहने को उपचुनाव से पीछे हटा JDU, 'त्याग' को आगे भुना सकती पार्टी
विवाद से दूर रहने को उपचुनाव से पीछे हटा JDU, 'त्याग' को आगे भुना सकती पार्टी

पटना [एसए शाद]। तीन सीटों पर 11 मार्च को हो रहे उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं खड़े करने की घोषणा कर जदयू ने सभी को चौंकाया है। चर्चा थी कि पार्टी जहानाबाद सीट पर अपना प्रत्याशी देगी, क्योंकि राजग की ओर जदयू ही इस सीट पर लड़ता रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी अपने इस 'त्‍याग' को आगे भुना सकती है।

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पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने राजग से अलग होकर महागठबंधन बना लिया था, तब राजग की ओर से रालोसपा यह सीट लड़ी थी और महागठबंधन की ओर से राजद के मुंद्रिका सिंह यादव ने चुनाव लड़ा था। मुंद्रिका सिंह यादव के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है।

जदयू सूत्रों ने बताया कि राजग के दो और घटक दल-रालोसपा और हम, ने जहानाबाद सीट पर दावेदारी कर रखी है। ऐसे में राजग में मची खींचतान से जदयू खुद को दूर रखना चाहता है। वह कोई विवाद में पडऩा नहीं चाहता।

यह भी उम्मीद थी कि राजद के मुकाबले जदयू किसी अल्पसंख्यक उम्मीदवार को अररिया लोकसभा सीट पर प्रत्याशी बनाएगी। मो.तस्लीमुद्दीन के निधन के कारण रिक्त हुई इस सीट को पार्टी अपनी झोली में डालकर यह संदेश देने का प्रयास करेगी कि राजग में वापसी के बावजूद अल्पसंख्यकों के बीच नीतीश कुमार लोकप्रिय हैं।

जहां तक भाजपा के आनंदभूषण पांडेय की मृत्यु के कारण रिक्त हुई भभुआ विधानसभा सीट का प्रश्न है तो वहां से एक पूर्व मंत्री टिकट के लिए जदयू पर दबाव बनाए हुए थे। जदयू अगर इस सीट पर दावा करता तो नया विवाद खड़ा हो सकता था। टिकट के लिए प्रयासरत पूर्व मंत्री अब राजद की ओर आस भरी निगाहों से देख रहे हैं। पर्यवेक्षकों का मानना है कि उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं खड़ा कर जदयू ने 'त्याग' किया है, और इस 'त्याग' को आगे के चुनाव में भुनाने का प्रयास होगा। टिकट बंटवारे के दौरान अपनी बेहतर हिस्सेदारी के लिए उपचुनाव को रेफ्रेंस का बिन्दु बनाएगी। इसकी बारगेनिंग क्षमता में भी इजाफा होगा। राजग के अन्य घटक दलों पर दबाव बनाने का प्रयास होगा।


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