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विधान परिषद चुनाव के लिए जदयू ने भाजपा के सामने रख दी ये शर्त, वीआइपी और हम का क्‍या होगा

स्थानीय निकाय कोटे के परिषद चुनाव को लेकर भाजपा और जदयू के बीच सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई है। तालमेल पर अनौपचारिक बातचीत शुरू। लोजपा के पारस गुट को मिल सकती है एक सीट। बिहार में 24 सीटों पर चुनाव होना है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 29 Dec 2021 04:25 PM (IST)Updated: Thu, 30 Dec 2021 06:21 AM (IST)
विधान परिषद चुनाव के लिए जदयू ने भाजपा के सामने रख दी ये शर्त, वीआइपी और हम का क्‍या होगा
बिहार में स्‍थानीय निकाय प्राधिकार के चुनाव की तैयारी शुरू। सांकेतिक तस्‍वीर

अरुण अशेष, पटना। Bihar Politics: जिला परिषद और प्रखंड पंचायत समितियों के चुनाव तीन जनवरी को समाप्त हो जाएंगे। इधर विधान परिषद की खाली पड़ी (स्थानीय निकाय प्राधिकार) 24 सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। त्रिस्तरीय पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि इसके वोटर होते हैं। एनडीए के दो घटक दलों, भाजपा और जदयू (BJP and JDU) में सीटों के बंटवारा पर अनौपचारिक बातचीत हुई है। यह बातचीत मंगलवार को कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की मौजूदगी में हुई। इसमें जदयू की ओर से शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी और भाजपा की ओर से प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद शामिल हुए। जदयू की ओर से विजय चौधरी ही सहयोगी दलों से बातचीत के लिए अधिकृत हैं। सूत्रों ने बताया कि जदयू ने 12 यानी आधी सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। 

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जदयू के दावे का यह है आधार 

इन सीटों के लिए लिए पिछला चुनाव 2015 में हुआ था। तब भाजपा, रालोसपा और लोजपा साझे में लड़ी थी। भाजपा की 11 और लोजपा की एक सीट पर जीत हुई थी। बाद में लोजपा की नूतन सिंह और निर्दलीय अशोक कुमार अग्रवाल भाजपा में शामिल हो गए। जदयू का दावा इस आधार पर है कि उसके पांच उम्मीदवार जीते थे। उस चुनाव में जीते राजद के तीन और कांग्रेस के एक विधान पार्षद जदयू में शामिल हुए। यह संख्या नौ हुई। उसके अलावा उसे तीन ऐसी सीटें भी चाहिए, जहां 2009 के विधान परिषद चुनाव में जदयू की जीत हुई थी। 

लोकसभा और विधानसभा का क्‍या है फार्मूला

सूत्रों ने बताया कि भाजपा और जदयू के बीच सीटों के लिए विवाद नहीं होगा। ऐसी ही समस्या 2019 के लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनाव के समय भी आई थी। जदयू ने 2009 के लोकसभा और 2015 के विधानसभा चुनाव में जीती अपनी कई सीटों पर दावा किया। भाजपा इसे देने पर सहमत भी हो गई। दोनों दलों ने एक दूसरे के लिए अपनी जीती हुई सीटें भी छोड़ी। मुश्किल की आशंका हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) से है। ये दल भी सीटों की मांग कर रहे हैं। संभव है कि भाजपा और जदयू आपस में सीटें बांट कर इन दलों के लिए अपने-अपने कोटे से कुछ सीटें दे दे। जहां तक पशुपति कुमार पारस की अगुआई वाली लोजपा का सवाल है, उसे एक सीट देने पर सहमति बन चुकी है। पिछले चुनाव में एकीकृत लोजपा के उम्मीदवार सहरसा, हाजीपुर और नालंदा से चुनाव लड़े थे। 

2015 में किसकी कहां हुई थी जीत 

  • पटना-निर्दलीय

  • नालंदा-जदयू

  • गया-जदयू

  • औरंगाबाद-भाजपा

  • नवादा-जदयू

  • भोजपुर-राजद

  • रोहतास-भाजपा

  • सारण-भाजपा

  • सिवान-भाजपा

  • गोपालगंज-भाजपा

  • पश्चिमी चंपारण-कांग्रेस

  • पूर्वी चंपारण-भाजपा

  • मुजफ्फरपुर-जदयू

  • वैशाली-राजद

  • सीतामढ़ी-राजद

  • दरभंगा-भाजपा

  • समस्तीपुर-भाजपा

  • मुंगेर-राजद

  • बेगूसराय-भाजपा

  • सहरसा-लोजपा

  • बांका-जदयू

  • मधुबनी-भाजपा

  • पूर्णिया-भाजपा

  • कटिहार-निर्दलीय।

(जदयू-पांच, भाजपा-11, लोजपा-01,निर्दलीय-02, कांग्रेस-01 एवं राजद-04।)

इस बार समीकरण बदला

भोजपुर के राधा चरण साह, मुंगेर के संजय प्रसाद और सीतामढ़ी के दिलीप राय राजद छोड़ कर जदयू में आ गए। पूर्वी चंपारण से कांग्रेस टिकट पर जीते राजेश राम भी जदयू में शामिल हो गए। कटिहार के निर्दलीय अशोक अग्रवाल और सहरसा से लोजपा टिकट पर जीती नूतन सिंह भाजपा में शामिल हो गईं। बदलाव के बाद स्थानीय निकाय के कोटे से भाजपा 13 और जदयू के नौ सदस्य हो गए थे। 


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