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बिहार में जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरू, पटना में जुटे हैं देश भर के गांधीवादी

बिहार में बहुप्रतीक्षित जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत बुधवार को गांधी जयंती के अवसर पर हो गयी। पटना के ज्ञान भवन में इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 04:47 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 10:09 PM (IST)
बिहार में जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरू, पटना में जुटे हैं देश भर के गांधीवादी
बिहार में जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरू, पटना में जुटे हैं देश भर के गांधीवादी

पटना, जेएनएन। बिहार में बहुप्रतीक्षित 'जल-जीवन-हरियाली अभियान' की शुरुआत बुधवार को गांधी जयंती के अवसर पर हो गयी। पटना के ज्ञान भवन में इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की। इस मौके पर उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत अन्‍य लोग मौजूद रहे। बापू सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में बाद चार सत्रों में 'गांधी विचार समागम' का आयोजन होगा। इसमें राज्य के विभिन्न स्कूलों के 900 से ज्यादा छात्रों के अलावा शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् के अलावा देश के विभिन्न राज्यों से करीब 40 गांधीवादी विचारक शामिल हो रहे हैं। वहीं गांधी विचार समागम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने स्कूलों में गांधी कथा वाचन के लिए दो किताबों का भी लोकार्पण किया- बापू की पाती और एक थे बापू। 

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कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोले 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संबोधित कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि पृथ्‍वी जरूरत को पूरा करती है, लालच को नहीं। उन्‍होंने कहा कि बिहार समेत देश में हो रहे मौसम के बदलाव के पीछे जलवायु परिवर्तन मुख्‍य कारण है। पटना के कई मुहल्‍लों में अप्रत्‍याशित बारिश की वजह से भीषण जलजमाव हो गया है। हालांकि मशीनरी इसे निकालने में लगे हुए हैं। जल की निकासी लगातार हो रही है।

जल स्रोतों से हटाया जा रहा है अवैध कब्‍जा

उन्‍होंने कहा कि तालाब, नहर, कुओं, पोखर से अवैध कब्‍जा हटाया जा रहा है। जल को लेकर पुरानी प्रथाओं को पुनर्जीवित करेंगे। चापाकल तक पर ध्‍यान दिया जा रहा है। सार्वजनिक कुंओं करे उन्‍होंने कहा कि इसके लिए हमने पिछले माह मीटिंग की थी। उसी समय से बारिश का रेड अलर्ट आ गया। तभी हमलोगों ने निर्णय लिया कि जल-जीवन-हरियाली शुरू किया जाएगा।

जल और हरियाली के बीच जीवन

उन्‍होंने जल-जीवन-हरियाली के नामकरण में छिपे उद्देश्‍य को भी बताया। उन्‍होंने कहा कि नाम में जल और हरियाली के बीच जीवन छिपा हुआ है। जल और हरियाली है तो तभी जीवन है। ऐसे में जल और हरियाली को बचाने की जरूरत है। इसके लिए पौधारोपण भी किया जा रहा है। हर सड़क के दोनों किनारों में पौधा लगाने की योजना है और इस पर अमल भी किया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि इस अभियान की आैपचारिक शुरुआत पटना में कर दी गई है, प्रदेश के बाकी जिलों में इसे 26 अक्‍टूबर को विधिवत शुरू किया जाएगा।  

जलवायु परिवर्तन के चलते कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी के विचारों को पर्यावरण सुरक्षा से जोड़ा और पटना के मोहल्लों में जलजमाव की सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन को बताया। उन्होंने कहा कि अचानक हुई बारिश से ऐसे हालात उत्पन्न हो गए। मौसम जिस तरह से बदल रहा है उससे कहीं सूखा तो कहीं अतिवृष्टि हो रही है। बिहार में ताजा हालात की भी यही वजह है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना के कुछ मोहल्लों में अभी भी पानी है। लोग परेशान हैं। किंतु तत्परता से राहत कार्य चलाया जा रहा है। इस बार जुलाई में अचानक बहुत बारिश हुई। 2016 और 17 में भी ऐसा ही हुआ था। अबकी भी सबकुछ अचानक हुआ। मौसम विभाग ने भी नहीं सोचा था। बाढ़ के लिहाज से बिहार संवेदनशील है। नेपाल, उत्तराखंड और झारखंड में बारिश होने पर बिहार का संकट गहरा जाता है। 

गांधी के विचारों को अपनाने की युवा से अपील

गांधी समागम को लेकर मुख्यमंत्री ने युवा पीढ़ी से गांधी के विचारों को अपनाने की अपील की और कहा कि 10 से 15 फीसद लोगों ने भी गांधी को आत्मसात कर लिया तो देश और समाज बदल जाएगा। अभी तक स्कूलों में गांधी कथा वाचन बच्चों से कराया जाता था, किंतु अब शिक्षक करेंगे। बच्चों को एक-एक वाक्य समझाएंगे। 

 कोई हटा-मिटा नहीं सके गांधी की नसीहतों को 

गांधी की सात नसीहतों का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव दीपक कुमार को निर्देश दिया कि इन्हें सचिवालयों, सरकारी भवनों और स्कूलों में इस तरह से लगाया जाए कि कोई मिटा नहीं सके। नीतीश ने आशंका जताई कि मेरे बाद जो लोग सत्ता में आएंगे, वे इन्हें उखाड़ भी सकते हैं। इसलिए गांधी की नसीहतों को इस तरह लगाएं कि कोई मिटा न सके। चंपारण सत्याग्र्रह का उल्लेख करते हुए नीतीश ने कहा कि इसके बाद देश में ऐसी जागृति आई कि 30 वर्षों के भीतर आजादी मिल गई। बिहार ने चंपारण सत्याग्र्रह के सौ साल पूरे होने पर 2017 में देश में पहली बार स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया था, जिसमें राष्ट्रपति भी आए थे। उसी दौरान मैंने तय किया था कि गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाएंगे। 


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