एनएमसीएच में उन्नत तकनीक उपलब्ध होते हुए भी आंख का ऑपरेशन कराना मुश्किल क्यों
Eye Hospital in Patna फेको मशीन व लेंस रहते आंखों का ऑपरेशन दो साल से बंद एनएमसीएच के नेत्र रोग विभाग से हर दिन लौटाए जा रहे मरीज चीरा लगाकर ऑपरेशन कराने का अधिकतर मरीज तैयार नहीं उन्नत तकनीक का नहीं मिल रहा लाभ
पटना सिटी, जेएनएन। नालंदा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल (Nalanda Medical College and Hospital) में आई बैंक यानी नेत्र (आंख) बैंक (Eye Bank) खोलने और कॉर्निया प्रत्यारोपण (Cornia Transplant) शुरू करने की तैयारी चल रही है। दूसरी तरफ एनएमसीएच (NMCH) आंख के विभाग (eye department) में फेको मशीन और मुड़ने वाला लेंस उपलब्ध होने के बाद भी लगभग दो साल से आंखों का ऑपरेशन (surgery of eye) बंद है। लाखों रुपये की उन्नत गुणवत्ता वाली यह फेको मशीन महज हैंड पीस खराब होने के कारण बेकार पड़ी है। फेको तकनीक से आंखों का ऑपरेशन कराने के लिए हर दिन विभाग में आने वाले मरीजों को लौटाया जा रहा है।
तकनीक रहते चीरा लगाकर ऑपरेशन कराने की मजबूरी
विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश तिवारी ने बताया कि नौ माह बाद आंखों में चीरा लगाकर मोतियाबिंद का ऑपरेशन शुरू किया गया है। अधिकांश मरीज फेको विधि से ऑपरेशन कराना चाहते हैं। फेको मशीन का हैंडपीस बदलने के लिए अधीक्षक को लिखा गया है। यह पार्ट करीब दो से ढाई लाख रुपये का है।
फेको विधि से आसान है आंखों का ऑपरेशन, एक सप्ताह में स्वस्थ हो जाता मरीज
विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि फेको विधि से आंखों में बिना चीरा लगाए ऑपरेशन किया जाता है। करीब एक सप्ताह में ही आंख सामान्य रूप से काम करने लगता है। चीरा वाले ऑपरेशन में तीन सप्ताह लग जाता है। फेको से मरीज को दर्द भी नहीं होता है। लेंस भी उम्दा क्वालिटी का लग जाता है। बंद पड़ी फेको मशीन को जल्द चालू किया जाना चाहिए।
30 लाख की रेटिना स्कैनिंग मशीन का बढ़ेगा इस्तेमाल
नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश तिवारी ने बताया कि विभाग में लगी रैटिना स्कैनिंग मशीन का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा। कोरोना काल में लगभग नौ मरीजों तक इस मशीन का इस्तेमाल नहीं हो सका। 30 लाख की इस ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी से मिनटों में रेटिना के दस लेयर की सूक्ष्मता से स्कैनिंग कर बीमारी की जड़ तक विशेषज्ञ पहुंचते हैं। सभी लेयर की रंगीन फोटोग्राफी होती है।