सनसनीखेज खुलासा : ISI के पैसे से नेपाल में बन रहीं भोजपुरी फिल्में
कानपुर रेल दुर्घटना के आरोपियों ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। उन्होंने बताया है कि ISI नेपाल में भोजपुरी फिल्मों की फंडिंग कर रही है।
पटना [राजीव रंजन]। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के पैसे से नेपाल में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का संचालन हो रहा है। आइएसआइ ने ही नेपाल में बनी भोजपुरी फिल्म 'रफ्तार' के लिए ब्रजकिशोर गिरी को पैसे उपलब्ध कराए थे। आइएसआइ के पैसे से गिरी की एक और भोजपुरी फिल्म 'ऐ मोरे जान, तोहरे में बसे ले हमरे प्राण' का निर्माण हो रहा है।
इसका खुलासा आइएसआइ एजेंट गजेंद्र शर्मा ने नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) के समक्ष किया है। गजेंद्र शर्मा कानपुर रेल हादसे व पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन रेलवे ट्रैक विस्फोट की साजिश का आरोपी है। एनआइए के दबाव में उसने विगत 13 फरवरी को मोतिहारी कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था।
गजेंद्र शर्मा ने एनआइए की पूछताछ में बताया कि वह एक भोजपुरी लोकगायक है। नेपाल व भारत में जगराते जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करता है। वह पिछले कई वर्षों से नेपाल के बीरगंज में बॉलीवुड स्टूडियो का संचालन करने वाले ब्रजकिशोर गिरी के संपर्क में था। गिरी ने उसे नेपाली फिल्मों में काम दिलाने तथा अपने स्टूडियो में उसका वीडियो एलबम बनाने का वादा करके आइएसआइ के लिए काम करने का ऑफर दिया था।
कानपुर रेल हादसे के आरोपियों से पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। इनमें एक यह भी है कि आइएसआइ के पैसे से नेपल में भोजपुरी फिल्में बन रही हैं।
गिरी फिलहाल दो भारतीय युवकों अरुण राम और दीपक राम की हत्या के मामले में नेपाल के जेल में बंद है। उसके साथ नेपाल की भोजपुरी फिल्मों में काम करने वाला एक और शख्स मुकेश यादव भी जेल में है। गिरी नेपाल में न केवल भोजपुरी फिल्मों का निर्माता है, बल्कि बीरगंज में उसका अपना स्टूडियो भी है। साथ ही उसने 'रफ्तार' नामक नेपाल में निर्मित भोजपुरी फिल्म में बतौर एक्टर काम भी किया है। निर्माणाधीन फिल्म 'ऐ मोरे जान, तोहरे में बसे ले हमरे प्राण' का भी प्रोड्यूसर और एक्टर है।
गजेंद्र शर्मा ने यह भी बताया कि दुबई में बैठकर नेपाल में आइएसआइ की गतिविधियों का संचालन करने वाले शम्सुल हुदा ने नेपाल में निर्मित कई भोजपुरी फिल्मों के लिए लोगों को पैसे उपलब्ध कराए हैं। वह भी भोजपुरी फिल्मों में अपना कॅरियर बनाने के चक्कर में गिरी के संपर्क में आया और उसे भारतीय ट्रेनों को निशाना बनाने का काम सौंपा गया।
बता दें कि शम्सुल को यूएई की सरकार ने भारत व नेपाल सरकार के आग्रह पर दुबई से 'डिपोर्ट' कर पिछले दिनों काठमांडू भेज दिया था। उसे काठमांडू एयरपोर्ट पर ही नेपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।