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Interview Manu Maharaj: पटना में धमाकों से डरी नहीं पब्लिक, आतंकियों के मंसूबों को किया नाकाम

2005 बैच के आइपीएस अधिकारी मनु महाराज पटना के सीनियर एसपी थे। उन्‍हें बिहार का सुपर कॉप और सिंघम भी कहा जाता है। दैनिक जागरण से खास बातचीत में मनु महाराज ने उस पहर की दास्‍तां साझा की जिससे सुनने मात्र से ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 05:14 PM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 05:31 PM (IST)
Interview Manu Maharaj: पटना में धमाकों से डरी नहीं पब्लिक, आतंकियों के मंसूबों को किया नाकाम
27 अक्‍टूबर 2013 को बम ब्‍लास्‍ट के बाद घायल को संभालते तत्‍कालीन एसएसपी मनु महाराज। जागरण आर्काइव।

प्रशांत कुमार, पटना। अक्‍टूबर 2013 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेन्‍द्र मोदी की पटना के गांधी मैदान में आयोजित हुंकार रैली के दौरान सीरियल बम ब्‍लास्‍ट मामले में सोमवार को फैसला आने के बाद लोगों की यादें ताजा हो गईं। मौत का खौफनाक मंजर उन आंखों के सामने आ गया, जो लोगों की जान बचाने में बेसुध लगे थे। तब 2005 बैच के आइपीएस अधिकारी मनु महाराज पटना के सीनियर एसपी थे। उन्‍हें बिहार का सुपर कॉप और सिंघम भी कहा जाता है। वे अभी देहरादून में ITBP के DIG हैं। दैनिक जागरण से खास बातचीत में मनु महाराज ने उस पहर की दास्‍तां साझा की, जिससे सुनने मात्र से ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

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मनु महाराज बताते हैं, 27 अक्‍टूबर 2013 को पटना के गांधी मैदान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हुंकार रैली का आयोजन किया गया था। इसमें तत्‍कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेन्‍द्र मोदी समेत राष्‍ट्रीयस्‍तर के बड़े नेताओं को शरीक होना था। एक रात पहले उन्‍होंने जवानों और अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति का जायजा लिया और देर रात आवास पर पहुंचे। अगले दिन (27 अक्‍टूबर 2013) की सुबह से ही वे ट्रैफिक मैनेजमेंट में लगे थे, ताकि अतिथियों की गाड़ी के अलावा कोई भी वाहन गांधी मैदान तक न पहुंच जाए। वरना, शहर की सड़कें जाम हो जातीं और इससे आम लोगाें को काफी परेशानी होती।

भागते देख आतंकी को दबोचा

मनु महाराज ने बताया कि सुबह करीब नौ बजे वे करबिगहिया ओवरब्रिज के पास खड़े थे, तभी उन्‍हें एक कॉल आया और बताया गया कि पटना जंक्‍शन पर करबिगहिया की ओर बने शौचालय में बम विस्‍फोट हुआ। वे अपने अंगरक्षकों के साथ कूच कर गए। रास्‍ते में उन्‍होंने जक्‍कनपुर थानाध्‍यक्ष को काॅल किया, लेकिन इंस्‍पेक्‍टर को घटना की जानकारी नहीं थी। उन्‍होंने इंस्‍पेक्‍टर को तुरंत घटनास्‍थल पर पहुंचने का आदेश दिया। जैसे वे शौचालय के पास पहुंचे कि उन्‍होंने इम्तियाज (आतंकी) को भागते हुए देखा। तत्‍कालीन जीआरपी इंस्‍पेक्‍टर और अंगरक्षकों की मदद से उन्‍होंने इम्तियाज को पकड़ा और उसे जक्‍कनपुर थाने भेजा। वे शौचालय के अंदर गए तो वहां एक आतंकी खून से लथपथ पड़ा था, जिसे एंबुलेंस से आइजीआइएमएस भेजा गया। उस आतंकी के पास एक बैग था। उसकी तलाशी में लोट्स कंपनी की घड़ी और तार मिले। ये उसी कंपनी की घड़ी थी, जिसका प्रयोग कुछ महीने पहले गया के महाबोद्धि मंदिर में हुए सीरियल बम ब्‍लास्‍ट में किया गया था। इसके बाद वे फौरन इम्तियाज से पूछताछ करने जक्‍कनपुर थाना चले गए।

सख्ती से की पूछताछ तो टला बड़ा हादसा

मनु महाराज ने बताया कि पूछताछ के दौरान इम्तियाज कभी बेहोश होने तो कभी मिर्गी का दौरा पड़ने का नाटक कर रहा था। उससे सख्‍ती से पूछताछ की गई तो उसने गांधी मैदान के इर्द-गिर्द 13 स्‍थानों पर बम प्‍लांट किए जाने की सूचना दी। बताया कि सबसे पहला धमाका छोटी गांधी मूर्ति के पास होने वाला है। इसके बाद ट्वीन टावर के पास बम फटेगा। वे तुरंत गांधी मैदान की तरफ भागे। उन्‍होंने रास्‍ते में तत्‍कालीन सिटी एसपी जयंतकांत और तत्‍कालीन टाउन डीएसपी मनोज तिवारी को जानकारी दी। तब मनोज तिवारी ने बताया कि एक धमाका हुआ है, लेकिन लोग बस का टायर फटने की बात कह रहे हैं।

भगदड़ मचाकर लेना चाहते थे जान

मनु महाराज ने कहा - मैं अपने पांच बॉडीगार्ड के साथ छोटी गांधी मूर्ति के पास पहुंचा ही था कि बम ब्‍लास्‍ट हुआ। तीन लोग घायल हो गए। मेरे बॉडीगार्ड मृत्‍युंजय यादव और मनीष सिंह दो घायलों को लेकर बाहर की ओर बढ़े। मैं और मनोज (तत्‍कालीन टाउन डीएसपी) एक घायल को उठाकर भागे। कंट्रोल रूम में खड़ी एंबुलेंस से घायलों को अस्‍पताल भेजा गया। इस बीच मैदान के आसपास दूसरे बम फटने लगे। आतंकी भगदड़ मचाकर लोगों की जान लेना चाहते थे। लेकिन, तब मंच पर मौजूद भाजपा के नेता और कार्यकर्ताओं ने सहयोग कर भीड़ का हौसला बांधे रखा। पब्लिक ने भी पुलिस को पूरा सहयोग दिया और भगदड़ की स्थिति उत्‍पन्‍न नहीं होने दी। नहीं तो, लाशों के ढेर बिछ जाते। तत्‍कालीन सेंट्रल रेंज डीआइजी सुनील सर (आइपीएस सुनील कुमार) और पटना आइजी एसएम खोपड़े भी गांधी मैदान के पास पहुंच गए। उनका मार्गदर्शन मिलता रहा।

छह घंटों में कर ली सभी आतंकियों की पहचान

मनु महाराज ने बताया कि पब्लिक के सहयोग की वजह से भगदड़ की स्थिति पैदा नहीं हुई और पुलिस को पकड़े गए आतंकी इम्तियाज से पूछताछ करने का मौका मिल गया। यही कारण था कि हमने छह घंटे में अन्‍य आतंकियों की पहचान कर ली। टीम मोतिहारी और रांची के लिए रवाना हो गई, जहां से हमें समय रहते सफलता मिली। अगर जनता ने सहयोग नहीं किया होता और लॉ एंड ऑर्डर की समस्‍या हो जाती तो जांच में देर होना स्‍वाभाविक था। उन्‍होंने कहा कि एक पुलिस ऑफिसर के हैसियत से सोमवार को कोर्ट का फैसला आने के बाद संतु्ष्टि मिली। दोषियों को उनके किए की सजा मिली है।


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