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अस्थमा के मरीजों के लिए इनहेलर थेरेपी है वरदान : डॉ. दीपेंद्र

एम्स पटना के पलमोनरी मेडिसीन विभाग द्वारा मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 11:09 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 11:09 PM (IST)
अस्थमा के मरीजों के लिए इनहेलर थेरेपी है वरदान : डॉ. दीपेंद्र
अस्थमा के मरीजों के लिए इनहेलर थेरेपी है वरदान : डॉ. दीपेंद्र

फुलवारीशरीफ (पटना)। एम्स पटना के पलमोनरी मेडिसीन विभाग द्वारा मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के मौके पर जागरुकता अभियान सह एलर्जी जाच अभियान चलाया गया। अभियान के तहत एम्स विशेषज्ञों ने अस्थमा के लक्षण, इलाज और बचने के उपाए बताए। इस मौके पर डॉ. दीपेंद्र कुमार राय ने बताया कि आज अस्थमा से बच्चे और बुजुर्ग दोनों प्रभावित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ों के अनुसार विश्व में 15 से 20 करोड़ अस्थमा के मरीज है। अस्थमा से 80 फीसद मौत निम्न व मध्यम आय वाले देश में हो रहा है। इसमें भारत प्रमुख है। अगर सही समय पर जाच के बाद दवा के साथ इनहेलर का मरीज उपयोग करने लगे तो इसपर काबू पाया जा सकता है। क्योंकि इनहेलर के माध्यम से दवा ग्रसित कोशिकाओं तक पहुंचती है। अस्थमा के मरीजों में अक्सर देखा जाता है कि ज्यादा सास फूलने पर ही लोग इनहेलर का इस्तेमाल करते हैं, जो कि गलत है। इनहेलर का इस्तेमाल रोजाना करना चाहिए। जागरुकता अभियान में लोगों को यह भी बताया गया कि किसी भी हालत में अस्थमा का संक्रमण एक-दूसरे से नहीं फैलता है। इस भ्राति को निकालने की जरूरत है। इस मौके पर डॉ. सौरभ कर्माकार, डॉ. सोमेश ठाकुर, डॉ. एलएन तिवारी, डॉ. सोमनाथ भट्टाचार्या, डॉ. बिनोद, डॉ. इरशाद भी मौजूद रहे। अस्थमा का कारण : इस बीमारी का मुख्य कारण वायु प्रदूषण है। श्वांस नली में धूलकण और गंदगी के कारण नलिकाएं ग्रसित हो जाती हैं। इससे सास लेने में परेशानी के साथ यह दमा के बीमारी में तब्दील हो जाती है। इसलिए आसपास के वातावरण को हरियाली और साफ-सफाई पर जोर देने की जरूरत है। लक्षण- बार-बार खासी आना, छाती में जकड़न, सास लेने में घड़घड़ाहट, छाती से सिटी जैसे आवाज निकलना, सास का फूलना अस्थमा का मुख्य लक्षण है। ब्रोन्कीयल थर्मोप्लास्टी मशीन से होगा इलाज : डॉ. दीपेंद्र राय ने बताया कि एम्स दिल्ली में ब्रोन्कीयल थर्मोप्लास्टी मशीन के माध्यम से इलाज होता है। बहुत जल्द पटना एम्स में भी इस मशीन के माध्यम से अस्थमा का इलाज शुरू कर दिया जाएगा। इस विधि के माध्यम से तार के माध्यम से ग्रसित नलिकाएं तक पहुंचाई जाती हैं। खासकर जिस स्थान पर नलिकाएं मोटी या अवरूद्ध हो गई हैं, वहा तक बारीक मशीन को पहुंचाकर सेकाई विधि के माध्यम से नली को सामान्य बना दिया जाता है। इससे अस्थमा से छुटकारा मिल सकता है। इस नई तकनीक के आने से बिहार के मरीजों को काफी फायदा होगा।

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