किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बेहतर बाजार व्यवस्था के साथ समय संसाधन मिलना हो सुनिश्चित
हाल में योजना एवं विकास विभाग की ओर से जारी अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय के आंकड़ों पर गौर करें तो खेती में तरक्की के बावजूद राज्य में सिर्फ 22.83 लाख हेक्टेयर जमीन में ही एक से अधिक पैदावार हो पाती है।
पटना, राज्य ब्यूरो। किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए उनकी समस्या को नजदीक से समझने की जरूरत है। प्रदेश की आठ हजार से अधिक पंचायतों में आयोजित हो रही किसान चौपाल इस दिशा में एक सकारात्मक पहल कही जा सकती है। नौ नवंबर तक लगने वाली इस चौपाल में करीब 12.60 लाख किसानों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित है।
इसमें किसानों को रबी की खेती से संबंधित सभी योजनाओं की जानकारी देने के साथ उनको बेतहाशा उर्वरक के इस्तेमाल से बचने और पर्यावरण को बचाते हुए खेती करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। मौसम अनुकूल खेती और फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में भी प्रशिक्षण दिया जाना है। चौपाल में शामिल होने वाले किसान जो सुझाव देंगे उसे कृषि विभाग लिखित रूप में दर्ज करेगा।
राज्य में ऐसा पहली बार होगा कि किसानों की बात सरकारी रिकार्ड का हिस्सा बनेगी। प्रयास होना चाहिए कि इस चौपाल में अधिक से अधिक किसान शामिल हों और उनके उचित सुझावों को पूरी तरह महत्व दिया जाए। वैसे, कृषि उपज बढ़ाने के लिए सभी किसानों को बेहतर बाजार व्यवस्था के साथ समय से उन्नत बीज, तकनीक और पर्याप्त मात्र में सही मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने पर विशेष जोर देना चाहिए।
सरकार इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन जब तक बिचौलिए प्रभावी बने रहेंगे तब तक किसानों की समस्या का अंत नहीं किया जा सकता। इसी तरह कृषि योग्य भूमि का रकबा बढ़ाने के साथ एक से अधिक फसल लेने की स्थिति निर्मित करने की कोशिश होनी चाहिए। फिलहाल यह स्थिति नहीं बन पा रही है।
एक और एक से अधिक फसलों को मिला दें तब भी कुल 52.42 लाख हेक्टेयर में बुआई होती है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 93.60 लाख हेक्टेयर है। इसमें 75.25 लाख हेक्टेयर जमीन को खेती के लायक माना गया है। यानी करीब 23 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि अघोषित तौर पर परती पड़ी रह जाती है। अर्से से परती पड़ी इस जमीन को कृषि योग्य बनाने का प्रयास तेज किया जाना चाहिए।