Move to Jagran APP

India-Nepal Tension: नेपाल ने बिहार में किया पांच सौ मीटर भूमि पर दावा, रोक दी बांध की मरम्‍मत

India-Nepal Tension बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की सीमा पर नेपाल ने पांच सौ मीटर भूमि पर दावा करते हुए वहां बांध की मरम्‍मत को रोक दिया है। क्‍या है यह विवाद जानिए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 12:02 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 10:00 AM (IST)
India-Nepal Tension: नेपाल ने बिहार में किया पांच सौ मीटर भूमि पर दावा, रोक दी बांध की मरम्‍मत
India-Nepal Tension: नेपाल ने बिहार में किया पांच सौ मीटर भूमि पर दावा, रोक दी बांध की मरम्‍मत

पटना, जेएनएन। लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा के सीमा विवाद व अन्‍य मसलों पर नेपाल से भारत के बढ़ते तनाव (India Nepal Tension) के दौरान दोनों देशों के बीच एक और विवाद खड़ा हो गया है। नेपाल ने बिहार के चंपारण क्षेत्र स्थित एक बांध की मरम्‍मत पर रोक लगाते हुए वहां के पांच सौ मीटर भूखंड पर अपना दावा किया है। यह बांध नेपाल से आने वाली लालबकेया नदी (Red Bakaya River) पर पहले से ही है। इस घटना से नेपाल व भारत में नया तनाव पैदा हो गया है।

loksabha election banner

नेपाल ने बिहार सीमा पर रोक दिया बांध की मरम्‍मत

नेपाल ने बिहार के पूर्वी चंपारण के ढाका अनुमंडल स्थित बलुआ गुआबारी पंचायत के निकट लालबकेया नदी पर बांध की मरम्‍मत के कार्य को रोक दिया है। नेपाल का कहना है कि यह बांध उसकी जमीन पर बनाया जा रहा है। नेपाल के विरोध के बाद बिहार के सिंचाई विभाग ने भारतीय क्षेत्र में काम रोक दिया है। पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन ने घटना की जानकारी नेपाल में भारतीय महावाणिज्य दूतावास सहित केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार को दे दी है।

साल 2017 में आयी भीषण बाढ़ से टूट गया था बांध

बांध की मरम्‍मत करा रहे सिंचाई विभाग के इंजीनियर बबन सिंह ने बताया कि लालबकेया नदी का पश्चिमी बांध 2017 में आयी बाढ़ से टूट गया था। इसकी मरम्मत पर नेपाल ने आपत्ति जताई, जिसके बाद काम रोक दिया गया। बांध बन जाए तो पूर्वी चंपारण जिले के ढाका और पताही में बाढ़ की रोकथाम करना संभव होगा।

भारत-नेपाल के बीच है 500 मीटर भूखंड का विवाद

भारत के सशस्‍त्र सीमा बल (एसएसबी) व पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन के अनुसार यह विवाद भारत- नेपाल सीमा पर पीलर संख्या 345/5 और 345/7 के बीच के पांच सौ मीटर के भूखंड को लेकर है। नेपाल बांध को लेकर जब भी आपत्ति करता था, भारत व नेपाल के अधिकारी बातचीत से मामला सुलझा लेते थे, लेकिन इस बार दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बीच ऐसा संभव नहीं हो सका। सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों का मानना है कि बांध के विवाद को नेपाली सशस्त्र सीमा प्रहरी व सीमा पार के नेपाली नागरिक उलझा रहे हैं। नेपाल के ग्रामीणों ने एसएसबी के साथ दुर्व्यवहार भी किया।

विवाद में बड़ी विदेशी शक्ति का हाथ होने की आशंका

इस बीच बांध की मरम्‍मत पर लगी रोक से सीमाई इलाके में लोग डरे हुए हैं। बलुआ गुआबारी के पूर्व सरपंच मो. जुलफिकार आलम मानते हैं कि नेपाल के साथ भारत का सदियों पुराना सामाजिक-सांस्‍कृतिक संबंध रहा है। दोनों देशों की सीमाएं भी खुली रहीं हैं। ऐसे में अचानक संबंधों में तनाव व अब बांध की मरम्‍मत पर रोक के पीछे कोई बड़ी विदेशी शक्ति का हाथ लगता है।

कार्टोग्राफिक विवाद ने नेपाल में बढ़ाया उग्र राष्ट्रवाद

सवाल उठाता है कि भारत व नेपाल के बीच क्‍या विवाद है? ब्रिटिश शासन के दौरान साल 1816 में बिहार के पूर्वी चंपारण के सुगौली में भारत व नेपाल के बीच एक संधि हुई थी, जिसे सुगौधी की संधि कहते हैं। इस संधि से दोनों देशों की सीमाएं तय होती हैं। संधि के अनुसार, ब्रिटिश शासकों ने काली नदी के उत्पत्ति स्थल को भारत और नेपाल की सीमा तय किया, जिसे लेकर दोनों दोनों देशों की राय अलग-अलग है। नदी के उद्गम स्‍थल को लेकर भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा पर नेपाल अपना दावा कर रहा है। दोनों  देशों के बीच के इस कार्टोग्राफिक विवाद ने नेपाल में उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ा दिया है।

हालिया तनाव का बिहार की सीमा पर भी पड़ा असर

लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा के कारण दोनों देशों के बीच उपजे तनाव का असर बिहार-नेपाल सीमा पर भी स्‍पष्‍ट दिख रहा है। हाल ही में बिहार के सीतामढ़ी के कुछ ग्रामीणों को नेपाल पुलिस ने बंधक बनाकर पीटा तथा उनपर गोलीबारी की। घटना में एक भारतीय की मौत हो गई। पूर्वी चंपारण से सटे नो मेंस लैंड पर नेपाल में कोरोना से मरे लोगों के अंतिम संस्कार की खबरें भी मिलती रहीं हैं। अब नेपाल ने बांध की मरम्‍मत भी रोक दी है।

भारत के लिए अहम रहा नेपाल, चीन बढ़ा रहा प्रभाव

तमाम विवादों के बावजूद चीन व भारत के बीच स्थित बफर व लैंडलॉक देश नेपाल भारत के लिए बेहद अहम है। भारत ने भी नेपाल के विकास में अहम योगदान दिया है, लेकिन हाल के दिनों में चीन ने धीरे-धीरे नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाया है। चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में नेपाल को एक अहम सहयोगी मान रहा है और वैश्विक व्यापार बढ़ाने की योजना के तहत वहां बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। माना जा रहा है कि हाल के दिनों में चीन व भारत के बीच बढ़े तनाव के बीच चीन के प्रभाव में आकर नेपाल भी इन दिनों सीमा विवाद उलझा रहा है। 

इसे भी पढ़ें: नेपाल की अड़ंगेबाजी से बिहार में बढ़ा बाढ़ का खतरा, नीतीश के मंत्री सोच ही रहे हैं; तेजस्‍वी ने MEA से किया संपर्क


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.