निर्दलीय बिगाड़ेंगे छात्र संगठनों का गणित
पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ (पुसु) चुनाव में इस बार निर्दलीय प्रत्याशी पिछले वर्षो की तुलना में अधिक होंगे।
पटना । पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ (पुसु) चुनाव में इस बार निर्दलीय प्रत्याशी पिछले वर्षो की तुलना में ज्यादा दमखम के साथ कैंपस में सक्रिय दिख रहे हैं। वहीं, कई छात्र संगठनों में मनमाफिक पद के लिए उम्मीदवार बनाए जाने की उम्मीद कम दिखने पर पिछले एक साल से संगठन का झंडा उठाने वाले भी निर्दलीय ताल ठोकने की बात कर रहे हैं। शुक्रवार को निर्दलीय प्रत्याशियों के समर्थन में सैकड़ों छात्रों ने तिरंगा मार्च निकाला। पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में 1971, 1980 और फरवरी, 2018 में निर्दलीय प्रत्याशी ही अध्यक्ष पद पर कब्जा हुए थे।
कैंपस में सक्रिय छात्र नेताओं का कहना है कि छात्र संगठनों की सक्रियता नामांकन के बाद ज्यादा दिखेगी। प्रत्याशी के नामों की घोषणा नहीं होने के कारण संगठन से जुड़े नेता फिलहाल जनसंपर्क पर केंद्रित हैं। पुसु के पूर्व उपाध्यक्ष अंशुमान का कहना है कि कैंपस में छात्र संगठन पीयू सेज्यादा दूसरे स्थानों से जुड़े मुद्दों को लेकर सक्रिय दिखते हैं। इस कारण भी संगठनों के प्रति छात्रों का रुझान कम हुआ है। नामांकन के दूसरे और तीसरे दिन स्थिति ज्यादा स्पष्ट होगी। टिकट नहीं मिलने के कारण कई छात्र नेता निर्दलीय और दूसरे संगठन से प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरेंगे। सबसे ज्यादा उठापटक इस बार अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के बीच होगी।
वहीं, पुसु चुनाव पर नजर रखने वाले पूर्ववर्ती छात्रों का कहना है कि नामांकन से पहले निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपनी दावेदारी रख रहे कई छात्रनेता अंतिम समय में संगठनों से जुड़ सकते हैं। : छात्र जदयू की तिकड़ी से दो गायब :
पिछले चुनाव में छात्र जदयू ने अध्यक्ष व कोषाध्यक्ष सीट पर कब्जा जमाया था। इसमें सबसे बड़ी भूमिका जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर, एमएलसी और पुसु के पूर्व पदाधिकारी रणवीर नंदन और पूर्व पुसु अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज की रही थी। इस बार रणवीर नंदन को छोड़ अन्य दो कैनवास से बाहर हैं। प्रत्याशियों के चयन के लिए एक बैठक हो चुकी है। : वाम एकता के साथ महा गठबंधन की पहल शुरू :
पिछले दो चुनावों की तरह इस बार भी वाम संगठन गठबंधन कर मैदान में उतरेंगे। इसकी पहल प्रारंभ हो गई है। किस सीट पर किस संगठन का प्रत्याशी होगा इस पर बात नहीं बनी है। इस बार आइसा, एआइएसएफ, छात्र राजद के साथ-साथ एनएसयूआइ और छात्र जनअधिकार परिषद् को भी एक साथ लाने का प्रयास किया जा रहा है। बात सेंट्रल पैनल की सीटों पर आकर रुक जा रही है। : एबीवीपी सभी सीटों पर उतारेगा प्रत्याशी :
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) इस बार भी अकेले ही चुनाव मैदान में होगा। सेंट्रल पैनल की पांचों सीटों के साथ-साथ काउंसलर के सभी पदों पर प्रत्याशी के लिए दो बैठकें हो चुकी हैं। अध्यक्ष पद के लिए सबसे ज्यादा मशक्कत की जा रही है। अध्यक्ष पद की रेस में फिलहाल दो छात्र और एक छात्रा के नाम पर विचार किया जा रहा है। : जेएसीपी में सभी पदों के लिए तैयारी :
पिछले दो चुनावों में एबीवीपी के बाद सबसे ज्यादा मत जेएसीपी के प्रत्याशियों ने ही प्राप्त किए हैं। संगठन के नीति-निर्धारकों का कहना है कि गठबंधन के दरवाजे बंद नहीं हैं। लेकिन, तैयारी सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की है।