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इंटर की परीक्षा में तब पास हुए थे मात्र 11 फीसद परीक्षार्थी, यह थी वजह

इस साल इंटर सायंस की परीक्षा में करीब 70 फीसद बच्चे फेल हो गये। लेकिन इतिहास के आइने में देखें तो वर्ष 1996 में इससे भी खराब रिजल्ट आया था। केवल 10.58 फीसद ही परीक्षार्थी पास हुए थे।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 06:55 PM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 11:40 PM (IST)
इंटर की परीक्षा में तब पास हुए थे मात्र 11 फीसद परीक्षार्थी, यह थी वजह
इंटर की परीक्षा में तब पास हुए थे मात्र 11 फीसद परीक्षार्थी, यह थी वजह

पटना : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से जारी इंटरमीडिएट के रिजल्ट में इस बार रिकॉर्ड छात्र फेल हुए हैं। साइंस और आर्ट्स संकाय में सबसे अधिक परीक्षार्थी फेल हुए हैं। साइंस में महज 30.11 फीसद परीक्षार्थियों ने सफलता हासिल की जबकि आर्ट्स में 37.13 फीसद विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। कॉमर्स का रिजल्ट अपेक्षाकृत काफी अच्छा रहा। इसमें 73.76 फीसद विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए। लेकिन इतिहास के झरोखें से देखें तो साल 1996 में इंटर का रिजल्ट सबसे खराब रहा है। 

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इंटर साइंस का रिजल्ट बोर्ड के इतिहास में सबसे बुरा 1996 में रहा। तब हाईकोर्ट की निगरानी में परीक्षा ली गई तो एक साल में ही 84 फीसद रिजल्ट गिर गया था। 1995 में इंटर साइंस में 94.5 फीसद परीक्षार्थी पास हुए थे। वहीं, 1996 में केवल 10.58 फीसद ही सफल हुए। 1997 में रिजल्ट 43.60 फीसद था। इसके बाद से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा 12वीं विज्ञान के रिजल्ट में सफलता का फीसद 50 से 2017 में ही कम रहा है। 

हाईकोर्ट को परीक्षा की जमीनी हकीकत बताने के लिए केंद्रों पर वकील तैनात किए गए थे। तत्कालीन प्रधानाध्यापक रामजी शर्मा ने बताया कि कोर्ट की कार्रवाई के डर से परीक्षा केंद्र में एक सादा पेज दिखने पर भी वीक्षक सहम जाते थे। व्यवहार न्यायालय के जज भी परीक्षा केंद्रों की निगरानी कर रहे थे। शिक्षा पदाधिकारियों से ज्यादा भय परीक्षा की निगरानी में लगाए गए वकीलों से था। कई वीक्षकों पर कार्रवाई भी की गई थी।   

कॉमर्स के रिजल्ट में 56 फीसद की गिरावट

1996 में कॉमर्स के रिजल्ट में 56 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी। परिणाम 39.90 फीसद पर सिमट गया था। 1995 में इस विषय में 95.18 फीसद परीक्षार्थी पास हुए थे। 1997 में 70 फीसद रिजल्ट रहा। 1996 के बाद कभी भी कॉमर्स का रिजल्ट 50 फीसद से कम नहीं रहा। 20 साल में कॉमर्स में सबसे खराब परिणाम 2016 में रहा। इस साल 55.62 फीसद बच्चे पास हुए।  

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60 फीसद से कम नहीं रहा आट्र्स का रिजल्ट 

इस साल आट्र्स का रिजल्ट बोर्ड के इतिहास में सबसे बुरा है। 1996 में भी 64.15 फीसद बच्चे आट्र्स में पास हुए थे। 1990 के बाद बिहार बोर्ड में आट्र्स का रिजल्ट 60 फीसद के नीचे नहीं आया। 1996 के बाद आट्र्स में सबसे कम 2016 में 79.37 फीसद परीक्षार्थी सफल हुए हैं। 

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