काम की खबरः ठगी के आधे घंटे के अंदर सक्रिय हुए तो लौट आएगी मेहनत की कमाई, जानें कैसे
पुलिस बैंक से संपर्क कर उक्त खाते के ट्रांजेक्शन पर रोक लगवा देगी और आपके अकाउंट में रुपये लौट सकते हैं। साइबर ठगी के शिकार होते हैं तो आधे घंटे के अंदर सक्रिय हो जाएं तो मेहनत की कमाई खाते में वापस लौट सकती है।

जागरण संवाददाता, पटना: अगर आप साइबर ठगी के शिकार होते हैं तो आधे घंटे के अंदर सक्रिय हो जाएं। तत्काल नजदीकी थाने को काल कर जानकारी दें। पुलिस बैंक से संपर्क कर उक्त खाते के ट्रांजेक्शन पर रोक लगवा देगी और आपके अकाउंट में रुपये लौट सकते हैं। ये जानकारी पत्रकार नगर थाना पुलिस के हत्थे चढ़े नवादा के साइबर ठग राजेश गुप्ता और रंजीत गुप्ता ने दी। गुरुवार को पुलिस ने दोनों आरोपितों को जेल भेज दिया। इनके सरगना विकास की तलाश में छापेमारी जारी है। वह नवादा जिले का रहने वाला बताया जात रहा है। थानाध्यक्ष मनोरंजन भारती ने बताया कि आरोपितों के पास से 150 बैंक खाता होने की जानकारी मिली है। एक खाते में 75 हजार रुपये थे, जिसे फ्रीज कर दिया गया। बाकी को बंद कराने की कार्रवाई जारी है।
एक महीने में दो करोड़ की ठगी
राजेश और रंजीत को पुलिस ने जब गिरफ्तार किया था तो उनके पास से छह लाख रुपये बरामद हुए थे। पुलिस को बताया कि ये उनके एक दिन की ठगी की रकम है। रुपये निकासी के बाद वे 10 प्रतिशत कमीशन काटकर कैश डिपोजिट मशीन के माध्यम से विकास द्वारा बताए गए बैंक अकाउंट में रुपये जमा कर देते हैं। आरोपितों ने बताया कि किराए पर खाता लेते हैं। खाताधारक को महीने में 10 से 15 हजार रुपये देते हैं। ज्यादातर खाताधारक सब्जी-फल फुटपाथी दुकानदार या खोमचे वाले हैं। वे एक महीने में औसतन दो करोड़ रुपये विकास को देते हैं।
ठगने की तरकीब ढूंढ़ता है सरगना विकास
विकास गिरोह का मास्टरमाइंड है, जो साइबर ठगी के नए तरकीब ढूंढ़ता है। फोटो पहचानो-इनाम पाओ प्रतियोगिता, बैंक का केवाईसी कराने, चमचमाती बाइक या कार कम दाम में बेचने के विज्ञापन, कौन बनेगा करोड़पति में शामिल होने जैसे माध्यमों से लोगों को ठगने का प्रयास करता है। इसके बाद उनसे यूपीआइ आइडी या डेबिट-क्रेडिट कार्ड का पासवर्ड व ओटीपी लेकर शिकार हुए व्यक्ति के खाते से रकम गायब कर देता है। रकम जिस खाते में डाली जाती है, उसका डेबिट कार्ड राजेश और रमेश जैसे एजेंटों के पास होता है। एजेंट जेब में दर्जनों कार्ड लेकर एटीएम के आसपास मौजूद रहते हैं। विकास की काल आते ही वे खाते से रुपये निकाल लेते हैं। वही उन्हें बताता है कि किस खाते से ठगी की रकम आई है।
Edited By Akshay Pandey