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हृदय प्रत्यारोपण के लिए आइजीआइएमएस को हरी झंडी

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में अब जल्द ही मरीजों का हृदय प्रत्यारोपण की सुविधा मिलने वाली है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 10:30 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 10:30 PM (IST)
हृदय प्रत्यारोपण के लिए आइजीआइएमएस को हरी झंडी
हृदय प्रत्यारोपण के लिए आइजीआइएमएस को हरी झंडी

पटना। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में अब जल्द ही मरीजों का हृदय प्रत्यारोपण (हार्ट ट्रांसप्लांट) हो सकेगा। हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए बुधवार को चार सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम ने संस्थान का निरीक्षण किया। यहां कैथलैब, आपरेशन थिएटर, वार्ड, आइसीयू व पुराने आपरेशन रजिस्टर का भी मुआयना किया। टीम ने व्यवस्था पर संतुष्टि जताते हुए प्रत्यारोपण के लिए सरकार से अनुमोदन कर दिया है।

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राज्य के निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डा. नवीन प्रसाद की अध्यक्षता में एम्स दिल्ली के डा. वी देवगौरौ, पीजीआइ लखनऊ के प्रो. आनंद कुमार मिश्रा, इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आइजीआइसी) के डा. ओम कुमार प्रसाद शाह ने चार घंटे तक निरीक्षण किया। आइजीआइएमएस के सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डा. शील अवनीश ने बताया कि विभाग की ओर से अबतक 600 से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी की जा चुकी है। इसके बाद हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए कवायद की जा रही है।

कार्डियोलाजी विभागाध्यक्ष डा. बीपी सिंह ने बताया कि हृदय प्रत्यारोपण की अनुमति मिलना संस्थान के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। सीटीवीएस डिपार्टमेंट में विभागाध्यक्ष डा. शील अवनीश के निर्देशन में डा. तुषार कुमार, डा. आंद्रेई झा, डा. माधव, डा. आलोक कुमार, डा. शशांक टीम के रूप में कार्य कर रहे हैं।

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: गरीब मरीजों को मिलेगी राहत :

आइजीआइएमएस हार्ट ट्रांसप्लांट शुरू करने वाला राज्य का पहला अस्पताल होगा। संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक सह स्टेट आर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट आरगनाइजेशन (सोटो) प्रमुख डा. मनीष मंडल ने बताया कि बिहार में यह पहली बार है जब कोई सरकारी या निजी अस्पताल हृदय प्रत्यारोपण के लिए आगे बढ़ रहा है। बिहार में यह सुविधा होना राज्य के लोगों के लिए एक बड़ा वरदान होगा। सर्जरी की लागत काफी कम होगी। इससे गरीब लोग काफी लाभान्वित होंगे।

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: अस्पताल में पहले से है किडनी, लिवर ट्रांसप्लांट की अनुमति :

आइजीआइएमएस में पहले से ही किडनी व लिवर प्रत्यारोपण की अनुमति सरकार की ओर से मिल चुकी है। संस्थान में अब तक 75 सफल किडनी प्रत्यारोपण हो चुका है। एक कैडेवर के माध्यम से लिवर प्रत्यारोपण किया गया, लेकिन यह कामयाब नहीं रहा।


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