Matric Exam: मैट्रिक परीक्षा में नकल करते मिले बच्चे तो वीक्षक और केंद्राधीक्षक पर भी कार्रवाई
BSEB Matric Exam बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से आयोजित मैट्रिक परीक्षा में कदाचार पर छह माह की जेल दो हजार का जुर्माना या एक साथ दोनों हो सकती सजा परीक्षा शुरू होने से पहले ब्लैक बोर्ड पर रोज लिखा जाएगा
पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Board Matric Examination: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (Bihar School Examination Board) की ओर से आयोजित होने वाली मैट्रिक परीक्षा (BSEB Matric Exam) में कदाचार करने पर परीक्षार्थी को निष्कासित करने के साथ दो हजार रुपये का जुर्माना या छह माह की जेल भी हो सकती है अथवा दोनों सजा एक साथ हो सकती है। ये जानकारी प्रतिदिन परीक्षा कक्ष के ब्लैक बोर्ड पर परीक्षा प्रारंभ होने से पहले दी जाएगी। कदाचार पर शिक्षक, कर्मी, होमगार्ड व पुलिसबल आदि के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा कदाचार में शामिल कर्मी के खिलाफ जिलाधिकारी द्वारा विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।
वीक्षक और केंद्राधीक्षक पर होगी कार्रवाई
अगर किसी परीक्षा कक्ष में निरीक्षण के क्रम में परीक्षार्थी सामूहिक रूप से कदाचार करते पाए गए तो उसके लिए वीक्षक को ही जिम्मेदार माना जाएगा। वीक्षक के खिलाफ भी परीक्षा संचालन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही केंद्राधीक्षक को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जाएगा।
निष्कासन की सूचना एप से
कदाचार के आरोप में निष्कासित परीक्षार्थियों की सूची जिला पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी एवं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति एवं परीक्षा नियंत्रक को ई-मेल एवं फैक्स के माध्यम से दी जाएगी। इसके अलावा परीक्षा समिति को एप के माध्यम से भी भेजी जाएगी।
एप होगा बोर्ड के लिए सहायक
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से मैट्रिक की परीक्षा में परीक्षा एप का उपयोग किया जाएगा। परीक्षा एप के माध्यम से केंद्रों से समिति को प्रत्येक पाली में अनुपस्थित होने वाले एवं निष्कासित होने वाले परीक्षार्थियों की सूची भेजी जाएगी। इससे समिति समय रहते किसी प्रकार की त्रुटि में सुधार कर सकती है।
एप के इस्तेमाल से सुधार हो रहा
बोर्ड ने पिछले वर्ष भी परीक्षा एप का उपयोग किया था। इससे डाटा संग्रह में काफी सहायता मिली थी। साथ ही परीक्षा प्रणाली की गुणवता में भी सुधार हुआ है। इस वर्ष भी बोर्ड एप का उपयोग करेगा ताकि उसे सही-सही डाटा मिल सके। इससे शिक्षण संस्थानों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को काफी सुविधा होगी। साथ ही बोर्ड ने यह भी निर्देश दिया है कि कर्मियों के मानदेय का भुगतान तभी किया जाएगा, जब उनके द्वारा 100 फीसद सही-सही डाटा भेजा जाएगा।