बोले रितिक रोशन, चाहता हूं कि मेरे बेटे रिहान-विदान में भी हो आनंद-प्रणव की तरह प्यार Patna News
फिल्म सुपर 30 के रियल गुरु आनंद कुुमार से पटना मिलने आए रितिक रौशन ने बिहार की तारीफों के पुल बांध दिए। खूूबसूरत लहजा और बोली को मिठास बताया। जानें और क्या कहा।
कुमार रजत, पटना। सुपर-30 में बिहारी शिक्षक का किरदार निभाने वाले रितिक पटना आए तो भी सुपर-30 और आनंद कुमार का ही गुणगान करते रहे। उन्होंने बिहारी बोली को मीठा बताया तो पटना के लोगों को बेइंतहा प्यार देने वाला। गुरु पूर्णिमा के दिन रितिक रोशन ने आनंद कुमार के पैर छूकर सभी का दिल जीत लिया।
बिहार या पटना का नाम सुनकर सबसे पहला ख्याल क्या आता है?
आप शायद न मानें मगर 'सुपर-30' से पहले शायद ही मैंने बिहार के बारे में कुछ सोचा होगा। हां, बिहारी भाषा जब सुनता था या फिल्मों में देखता था तो अच्छा लगता था। खूूबसूरत लहजा है। एक मिठास है। जब मैंने 'सुपर-30' की स्क्रिप्ट सुनी तो मुझे लगा कि ये फिल्म तो करनी ही है। फिर मैंने आनंद सर के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटानी शुरू की। इन पर लिखी किताब भी पढ़ी। अब तो पटना और बिहार से खास लगाव हो गया है।
बिहारी एक्सेंट सीखना कितना मुश्किल रहा?
जब भी मैं आनंद सर से मिलता था, तो पूरी बातचीत रिकॉर्ड करता था। उसको सुनता रहता था। शूटिंग के दौरान किसी सीन में ऐसा लगता कि कुछ गड़बड़ है, तो मैं फिर से रिकॉर्डिंग सुनता। कई बार सुनते-सुनते मैं सो जाता। इसके अलावा मैंने बिहार एक्सेंट सीखने के लिए कोच रखा। ढाई महीने तक गमछा-वमछा लेकर जमीन पर बैठकर बिहारी टोन पकडऩे की कोशिश की।
अभिनय से पहले आपने 'खुदगर्ज' और 'करण अर्जुन' जैसी फिल्मों में पिता राकेश रोशन को असिस्ट किया था? क्या कभी निर्देशन के क्षेत्र में आने का विचार है?
निर्देशन बहुत ही मुश्किल चीज है। एक एक्टर के तौर पर मैं किसी सीन को संवार सकता हूं मगर किसी सीन को जन्म देना, बहुत मुश्किल है। मेरे डीएनए में ये है कि नहीं, मुझे नहीं पता। अगर कभी निर्देशन कर पाया तो मुझे खुद पर गर्व होगा।
ग्रीक गॉड से एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के शिक्षक के किरदार में ढलना कितना मुश्किल रहा?
जब मैं आनंद सर से मिला तो मुझे ऐसा लगा कि मेरा काम आसान हो गया। वे जब अपनी कहानी सुना रहे थे तो मैं उनकी भावनाओं को फील कर रहा था। स्क्रिप्ट और आनंद सर ने मेरे अंदर इतनी भावनाएं भर दीं कि अंदर से मैं बिल्कुल किरदार के लिए तैयार था। मैंने जो मेहनत की है, वो फिजिकली की है। बाकी सब बहुत आसान रहा।
आनंद कुमार के भाई प्रणव उनके साथ हमेशा खड़े रहते हैं? आपकी लाइफ का 'प्रणव' कौन है?
बहुत खुशकिस्मत होते हैं, वे लोग जिनके पास प्रणव जैसे भाई होते हैं। मैं खुश हूं कि अपनी जिंदगी में प्रणव और आनंद सर को इतने करीब से जान पाया। मेरी उम्मीद है कि मेरे जो दो बेटे हैं रिहान-विदान, उनके बीच भी इसी तरह का प्यार और इज्जत भरा संबंध हो। अगर ऐसा हुआ तो मैं सोचूंगा कि मेरा काम हो गया।
आपने फिल्म में मैथ्स पढ़ाते हैं। आप बतौर विद्यार्थी मैथ्स में कैसे थे?
मैथ्स मेरा पसंदीदा विषय नहीं रहा मगर मैं इसमें कमजोर भी नहीं था। 60 से 65 नंबर आते थे। हां, फिजिक्स मेरा पसंदीदा विषय था। मेरा मानना है कि दुनिया के कई सवालों का हल करने का रास्ता मैथ्स देता है। यह दुनिया के रहस्यों से पर्दा उठाता है।
फिल्म का कौन सा ऐसा सीन है, जो आपको सबसे अच्छा लगा?
मेरे लिए तो हर सीन खास है। इसका जवाब आनंद सर देंगे। इसके बाद बगल में बैठे आनंद कुमार कहते हैं, 'फिल्म में मेरे भाई प्रणव को बहुत कम बोलते दिखाया गया है। वह मुझे समझाता भी है, तो उसका एक तरीका है। जैसे एक सीन में जब मेरा किरदार घड़ी उतारकर देता है, तो प्रणव कुछ बोलता नहीं है और चुपचाप अपनी घड़ी उतारकर दे देता है। इस सीन का संदेश बड़ा है।
आप कृष के रूप में बहुत लोकप्रिय हुए। आपका सुपरहीरो कौन रहा है?
सिर्फ कास्ट्यूम पहनने से कोई सुपरहीरो नहीं बन सकता। मैं उन कहानियों और किरदारों को ढूंढता हूं जिनमें सुपरहीरो का गुण हो। मेरे जीवन का सबसे बड़ा सुपर हीरो वाला किरदार आनंद सर का रहा जिसे मैंने सुपर-30 में निभाया है।
फिल्म की पूरी कहानी पटना में घटती है, मगर पटना में शूटिंग नहीं हुई?
ऐसा नहीं है, फिल्म के अंतिम दृश्य में आनंद सर बच्चों को पढ़ाते रहते हैं, वह सीन पटना का ही है। (हंसते हुए सवाल टाल जाते हैं)
ऐसा कोई ड्रीम रोल जिसे निभाने की ख्वाहिश हो?
इस वक्त तो मैं बिल्कुल भरा हुआ महसूस कर रहा हूं। मैंने सोचा भी नहीं था कि कभी ऐसा दमदार किरदार निभाऊंगा। फिलहाल तो सुपर-30 का किरदार ही मेरा ड्रीम रोल है।