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मछुआरे बोले, पेट्रोलिंग नहीं होगी तो कैसे बचेगी डॉल्फिन

पटना। यदि गंगा में पेट्रोलिंग नहीं होगी तो राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन आखिर कैसे बचेगी?

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Oct 2019 07:24 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 07:24 PM (IST)
मछुआरे बोले, पेट्रोलिंग नहीं होगी तो कैसे बचेगी डॉल्फिन
मछुआरे बोले, पेट्रोलिंग नहीं होगी तो कैसे बचेगी डॉल्फिन

पटना। यदि गंगा में पेट्रोलिंग नहीं होगी तो राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन आखिर कैसे बचेगी? पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग गंगा में पेट्रोलिंग की व्यवस्था कराए। पेट्रोलिंग करने वाले कर्मी मछुआरों के संपर्क में रहेंगे तो उन्हें शिकार की जानकारी भी मिल जाएगी। अभी भी कुछ लोग डॉल्फिन का शिकार कर तेल निकालने का कार्य कर रहे हैं। उक्त बातें शनिवार को विश्व डॉल्फिन दिवस के अवसर पर अरण्य भवन में 'गांगेय डॉल्फिन अधिवास का वैज्ञानिक प्रबंधन' विषय पर आयोजित कार्यशाला में भाग लेते हुए मछुआरों ने कीं।

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कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा, मछुआरों के सहयोग से डॉल्फिन के संरक्षण का कार्य किया जाएगा। डॉल्फिन रिसर्च सेंटर का निर्माण शीघ्र शुरू होने जा रहा है। एक माह के अंदर इसका कार्यारंभ हो जाएगा। डॉल्फिन का शिकार करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। वहीं 'डॉल्फिन मैन' सह मां वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के कुलपति पदमश्री प्रो. आरके सिन्हा ने कहा, सम्राट अशोक ने राज्यादेश निकालकर डॉल्फिन को मारने पर रोक लगाई थी। बाबरनामा में भी डॉल्फिन का जिक्र है। मछुआरे शिकार नहीं कर रहे हैं, इस कारण डॉल्फिन बची हुई है। पेट्रोलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। डॉल्फिन मछली नहीं जलीय जीव है। इसका शिकार करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। अन्यथा, चीन की तरह यहां भी डॉल्फिन लुप्त हो जाएगी। पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामेश्वर सिंह ने कहा, बिहार में डॉल्फिन पर बड़ा कार्य हुआ है। बिहार ने अग्रणी भूमिका निभाई है।

वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के डॉ. समीर कुमार सिन्हा ने कहा, जंगल में बाघ की तरह नदियों में डॉल्फिन पाई जाती हैं। डॉल्फिन को 2009 में जलीय जीव घोषित किया गया था। इसके अधिवास को सुरक्षित रखना आवश्यक है। प्राणी सर्वेक्षण के बिहार प्रभारी डॉ. गोपाल शर्मा ने कहा, डॉल्फिन के अधिवास पर खतरा मंडरा रहा है। छोटी-छोटी नदियों में फंसने वाली डॉल्फिन को रेस्क्यू कराने की विशेष व्यवस्था की जाए। छोटी मछलियों के मारे जाने के कारण उनके भोजन पर आफत आ गई है। अंत में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) ने धन्यवाद ज्ञापन तथा मंच संचालन सुरेंद्र सिंह ने किया। कार्यक्रम में मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक राकेश कुमार, कार्य नियोजन एवं प्रशिक्षण एके प्रसाद, पारिस्थितिकी निदेशक संतोष पांडेय, निदेशक हरियाली मिशन कुंदन कुमार, डीएफओ कुमार शानी, हेमंत पाटिल, नीरज नारायण आदि मौजूद थे।


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