अब संक्रमितों को ठीक होने तक रहना होगा आइसोलेशन सेंटर में
होम आइसोलेशन के दौरान भी रोजी-रोटी के लिए आर्थिक रूप से कमजोर लोग होम आइसोलेशन में घर से निकल कर काम करने निकल जा रहे हैं।
रणनीति में बदलाव :
- होम आइसोलेशन के दौरान भी रोजी-रोटी के लिए आर्थिक रूप से कमजोर लोग चले जा रहे काम पर
- 'छोटे जिलों में अधिक संक्रमित' विषय पर मंथन के दौरान निकला निष्कर्ष ------------------- जागरण संवाददाता, पटना : कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार होम आइसोलेशन की नीति में कुछ बदलाव करने जा रही है। अब आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पूरी तरह ठीक होने तक आइसोलेशन सेंटर में ही रहना होगा। इसका कारण बताया गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर लोग होम आइसोलेशन का प्रपत्र भर तो देते हैं, लेकिन रोजी-रोटी की तलाश में ठीक होने से पहले ही काम की तलाश में बाहर निकलने लगते हैं। इससे उनके संपर्क में आकर दूसरे लोग संक्रमित हो जाते हैं।
संक्रमितों की संख्या कम होने की उम्मीद
जिला और स्वास्थ्य विभाग की शुक्रवार देरशाम हुई बैठक में इस पर मंथन किया जा रहा था कि वैशाली, नवादा जैसे छोटे जिलों में भी अधिक कोरोना संक्रमित क्यों मिल रहे हैं। जांच के बाद पता चला कि संक्रमित होने वालों में अधिसंख्य लोग ऐसे हैं जो रोज कमाने-खाने वाले हैं। संक्रमित होने के बाद ये लोग इसलिए घर में नहीं रहना चाहते हैं ताकि बाहर निकलने के बाद कुछ कामकाज कर परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर सकें। अधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि पटना में भी गरीब लोगों को होम आइसोलेशन की अनुमति नहीं दी जाए। उन्हें पूरी तरह से ठीक होने तक किसी आइसोलेशन सेंटर में रखा जाए। गरीबों को आइसोलेशन सेंटर में रखने पर परिवार के लोगों के लिए रोटी का जुगाड़ कैसे होगा, इस पर कोई विचार नहीं हुआ है।
संक्रमितों के आइसोलेशन के लिए पर्याप्त हैं बेड
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विभा कुमारी सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन से इस बाबत निर्देश मिलने के बाद अब गरीब लोगों को होम आइसोलेशन में रहने की अनुमति नहीं दी जा रही है। हमारे पास संक्रमितों को रखने के लिए कंगन घाट, होटल पाटलिपुत्र अशोक, पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, बामेति, ईएसआइ बिहटा में पर्याप्त बेड व अन्य सुविधाएं हैं। इसके अलावा सगुना मोड़ और गुलजार बाग स्थित स्टेडियम में भी इसके लिए व्यवस्था की जा रही है।