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Hindi Diwas 2021: हिंदी के शिक्षक के लिए पटना के हर स्‍कूल में वैकेंसी, सरकार को नहीं मिले रहे उम्‍मीदवार

Hindi Diwas 2021 हिंदी में करियर की संभावनाओं की कमी नहीं है। उल्‍टे स्थिति यह है कि हिंदी भाषी राज्‍य बिहार में भी हिंदी के जानकार ढूंढने से नहीं मिल रहे हैं। पटना के स्‍कूलों में तो हिंदी शिक्षकों की खूब रिक्तियां हैं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 07:35 AM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 11:44 AM (IST)
Hindi Diwas 2021: हिंदी के शिक्षक के लिए पटना के हर स्‍कूल में वैकेंसी, सरकार को नहीं मिले रहे उम्‍मीदवार
हिंदी के शिक्षक के लिए खूब है वैकेंसी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Teacher Recruitment: किसी भी राष्ट्र के लिए राजभाषा का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन वर्तमान में इसके ही शिक्षक नहीं मिल रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में पटना जिले के लगभग 200 मध्य एवं हाईस्कूल में हिंदी के शिक्षक नहीं हैं। इन स्कूलों में हिंदी शिक्षक की मांग की जा रही है। जिले में 3600 स्कूल हैं। इनमें से 1600 मध्य विद्यालय एवं हाईस्कूल हैं। इनमें से लगभग 200 स्कूलों में हिंदी के शिक्षक नहीं हैं। कुछ स्कूलों में दो की जगह एक ही शिक्षक हैं। कुछ स्कूलों में तो अंग्रेजी के शिक्षक ही, हिंदी पढ़ा रहे हैं। अभी हाल में शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए नियोजन में भी 50 फीसद से अधिक सीट हिंदी शिक्षकों के खाली रह गए। अगर आपको शिक्षक बनने की चाह है तो अगली बार इन पदों पर आप किस्‍मत आजमा सकते हैं, क्‍योंकि रिक्‍त पदों को सरकार अगले चरण की शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में शामिल करेगी।

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शास्त्रीनगर बालक हाईस्कूल के पूर्व प्राचार्य श्रीकांत शर्मा का कहना है कि वर्तमान में समाज में डाक्टर एवं इंजीनियर बनने की होड़ मची है। हर अभिभावक अपने बच्चे को इंजीनियर एवं डाक्टर बनाना चाहता है। कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को शिक्षक बनाने के बारे में नहीं सोचता। यही कारण है कि कालेजों में हिंदी पढऩे वालों की संख्या कम होती जा रही है। बिना कालेजों में हिंदी पढ़े कोई भी व्यक्ति शिक्षक नहीं हो सकता है।

मिलर स्कूल के पूर्व प्राचार्य के राजाराम का कहना है कि हिंदी के प्रति समाज को जागरूक करने की जरूरत है। हिंदी की उपयोगिता भी बढ़ानी होगी। हिंदी केवल अलंकारिक भाषा बनकर नहीं रह जाए। हिंदी समाज के हर तबके तक पहुंचे इसके लिए सरकारी फाइलों में अधिक से अधिक उपयोग होना चाहिए। जब तक हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग नहीं किया जाएगा, इसका महत्व नहीं बढ़ाया जा सकता है।


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