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श्रद्धांजलि: 31 कंप्यूटर्स से भी तेज चलता था गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का दिमाग

आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का दिमाग 31 कंप्यूटर्स से भी तेज चलता था। ये साबित हुआ था नासा के अपोलो लॉन्चिंग के वक्त जानिए...

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 02:01 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 04:34 PM (IST)
श्रद्धांजलि: 31 कंप्यूटर्स से भी तेज चलता था गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का दिमाग
श्रद्धांजलि: 31 कंप्यूटर्स से भी तेज चलता था गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का दिमाग

पटना, जेएनएन। आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को चुनौती देने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 74 साल के थे। अपनी ज़िंदगी में 44 साल तक वे मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित रहे। इस महान गणितज्ञ का जीवन दुखों से भरा रहा।

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 31 कंप्यूटर्स जैसा चलता था वशिष्ठ का दिमाग

कहा जाता है कि वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान वैज्ञानिक आंइस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी।उनके बारे में कहा जाता है कि उनका दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता था। ये तब साबित हुआ जब नासा द्वारा अपोलो की लॉन्चिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर्स कुछ समय के लिए बंद हो गए थे। कंप्यूटर के ठीक होने तक वशिष्ठ नारायण सिंह ने जो गणना की थी वो कंप्यूटर ठीक होने पर पता चला कि दोनों का कैलकुलेशन एक था।

वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के बसंतपुर गांव में 2 अप्रैल 1942 में हुआ था और वे अपने परिजनों के साथ पटना के कुल्हरिया कॉम्प्लेक्स में रहते थे।

गलत पढाने पर प्रोफेसर को ही टोक देते थे

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार जब वशिष्ठ नारायण सिंह पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे, उस दौरान वे गलत पढ़ाने पर अपने गणित के प्रोफेसर को टोक देते थे। इसकी जानकारी जब कॉलेज के प्रिंसिपल को मिली तो उन्होंने वशिष्ठ नारायण सिंह की प्रतिभा को देखने के लिए उनकी अलग से परीक्षा ली। इस परीक्षा में उन्होंने सारे एकेडमिक रिकॉर्ड तोड़ दिए।

कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी से की पीएचडी

वशिष्ठ नारायण सिंह पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते थे तो उस दौरान कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर उन पर पड़ी। कैली ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें बरकली आ कर रिसर्च करने का निमंत्रण दिया। 1965 में वशिष्ठ नारायण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में रिसर्च के लिए चले गए थे।

नासा में किया था काम, वापस लौट आए भारत

साल 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बन गए। उन्होंने नासा में एक गणितज्ञ के रूप में काम किया था, बाद में उनका वहां मन नहीं लगा और वे 1971 में वापस भारत लौट आए। इसके बाद उन्होंने पहले IIT कानपुर, बॉम्बे, और फिर ISI कोलकाता में नौकरी की।

वैवाहिक जीवन नहीं रहा सफल 

उनका विवाह साल 1973 में वंदना रानी सिंह के साथ हुआ. अपनी शादी के कुछ समय बाद ही वे मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हो गए और कुछ समय बाद उनकी पत्नी ने उनसे तलाक ले लिया था। आपको बता दें, उन्हें ये बीमारी पिछले 40 सालों से थी।


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