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सरकार ने बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड का किया गठन

पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन कर लिया है l पूर्व विधि सचिव अखिलेश कुमार जैन अध्यक्ष बने हैं । नवगठित बोर्ड में अध्‍यक्ष के अलावा दस सदस्‍य भी हैं। मामले में अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 03:26 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 03:26 PM (IST)
सरकार ने बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड का किया  गठन
पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने गठित की बोर्ड, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । गया के विष्णुपद मंदिर की बदहाली पर दायर हुई  लोकहित याचिका की सुनवाई में पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद  राज्य सरकार ने धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन कर लिया है l   करीब 5  साल से बोर्ड विगठित पड़ा हुआ  था l बिहार राज्य  धार्मिक न्यास बोर्ड का पूर्णरूपेण  गठन  करने की जानकारी राज्य सरकार द्वारा दी गई l इस बात की सूचना सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में एक पूरक शपथ पत्र  सोमवार ( 4 जनवरी ) को दायर कर दी गई । सोमवार को शुरू हुए फिजिकल कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खण्डपीठ ने गौरव कुमार सिंह की  याचिका पर सुनवाई की।

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राज्‍यपाल ने किया गठन

सुनवाई के दौरान  उक्त शपथ पत्र के जरिये कोर्ट को बताया गया कि  बिहार के राज्यपाल ने बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम 1950 की धारा 8(1) (4) के तहत दी हुई शक्तियों का प्रयोग करते हुए दस सदस्यीय राज्य धार्मिक न्यास समिति का गठन गत 2 जनवरी को किया है । बोर्ड के गठन का सरकार का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा ।

ये हैं सदस्‍य

अध्यक्ष के अलावे इस नव गठित बोर्ड के सदस्य इस प्रकार से हैं -   हरिभूषण ठाकुर बचौल , सदस्य बिहार विधान सभा,  नीरज  कुमार , सदस्य बिहार विधान परिषद, कालिका दत्त झा विभागाध्यक्ष ,संस्कृत -ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी , विजय गिरि , पुजारी बड़ी पटनदेवी , शुकदेव दास जी , महंत , बगही मठ सीतामढ़ी  चंदन कुमार सिंह देवचौरा अंदर , विष्णुपद मंदिर गया,  डॉ रणवीर नंदन पूर्व सदस्य बिहार विधान परिषद , रत्नेश सादा,  सदस्य बिहार विधान सभा , गणपति त्रिवेदी सीनियर एडवोकेट पटना हाई कोर्ट (ये करीब एक दशक से पटना हाई कोर्ट में न्यास बोर्ड के वकील हैं )

गौरतलब है कि न्यास बोर्ड विगत मार्च 2016 से विघटित पड़ा है । राज्य के तमाम हिन्दू धार्मिक न्यास जो सार्वजनिक  (पब्लिक ) प्रकृति के हैं उन सबों का प्रबंधन व देख रेख राज्य की यही न्यास बोर्ड करती है । गठित हुए बोर्ड का कार्यकाल 5 साल का होता है । गौरव कुमार सिंह की जनहित याचिका में हाई कोर्ट ने पूर्व आदेश के जरिये सरकार से पूछा था कि बोर्ड का गठन क्यों नही हुआ?  इसमे और  कितना  दिन लगेगा ?

सोमवार को सुनवाई के दौरान , हाई कोर्ट ने    जनहित याचिकाकर्ता के युवा वकील सुमित सिंह , राज्य सरकार की तरफ से एएजी अंजनी कुमार व बोर्ड के वकील गणपति त्रिवेदी के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए इस मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को  रखा है ।


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