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Good news: 2016 में बंद हो गया था जनता दरबार, अब छठ बाद जनता के दरबार में फिर हाजिरी लगाएंगे अधिकारी

Good news एक बार फिर बिहार में जनता मालिक की तरह नजर आएगी और अधिकारी सामने खड़े होकर सफाई देते दिखेंगे। तब शायद जन समस्‍याओं का बड़े पैमाने पर निस्‍पादन हो सकेगा और भ्रष्‍टाचार पर भी लगाम लग पाएगी।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sun, 15 Nov 2020 09:48 PM (IST)Updated: Sun, 15 Nov 2020 09:48 PM (IST)
Good news: 2016 में बंद हो गया था जनता दरबार, अब छठ बाद जनता के दरबार में फिर हाजिरी लगाएंगे अधिकारी
कुछ इस तरह थानों में दरबार लगाकर पुलिस सुनती थी जनता की फरियाद। जागरण आर्काइव।

[श्रवण कुमार] पटना, जेएनएन। जिले के शीर्षस्थ अधिकारियों से लेकर थाना स्तर के पदाधिकारी तक को फिर से जनता के दरबार में हाजिरी लगवाने की तैयारी की जा रही है। संकेत मिल रहे हैं कि राज्य के आला अधिकारी की ओर से इस आशय के निर्देश शीघ्र जारी होने वाले हैं। मौखिक तौर पर जनता दरबार कार्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए कह दिया गया है। नई सरकार के गठन होते ही इस संबंध में अधिसूचना जारी हो सकती है। संकेत मिलते ही जिलाधिकारी से लेकर थानाध्यक्ष तक छठ के बाद 'जनता के दरबार में' कार्यक्रम का आयोजन की तैयारी में जुट गए हैं।

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नीतीश कुमार ने दिया था जनता दरबार का कांसेप्‍ट

प्रदेश में जनता दरबार का कांसेप्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देन है। हालांकि, इनसे पहले भी कई बार शीर्ष स्तर पर जनता दरबार लगे हैं, पर लगातार दस वर्षों तक सफल आयोजन का श्रेय नीतीश को ही जाता है। नीतीश ने केवल मुख्यमंत्री आवास में बल्कि बड़े स्तर पर जिलों में भी जनता दरबार का आयोजन कर लोगों की समस्याएं सुनी थीं। राजनीति के जानकार यह मानते हैं कि नीतीश की लोकप्रियता में जनता दरबार की अहम भूमिका रही है।

कई बार बदला जनता दरबार का स्‍वरूप

दस वर्षों के दौरान जनता दरबार का स्वरूप कई बार बदला है। इसी क्रम में जिलों में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और थाना के स्तर पर भी जनता दरबार कार्यक्रम चलाने के निर्देश जारी हुए थे। अधिकारियों ने दरबार में हाजिरी लगाकर जनता की समस्याएं भी सुननी शुरू कर दी थीं। दस साल बाद बदले स्वरूप में जनता दरबार कार्यक्रम की जगह लोक शिकायत निवारण कानून और लोक संवाद जैसे कार्यक्रम ने ले लिया। महागठबंधन की सरकार में 2016 में जनता दरबार बंद हो गया। 2016 में पांच जून से बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून लागू हो गया। इस कानून के तहत 60 दिनों के अंदर जनता की शिकायतों का समाधान होना है। शिकायतों के निवारण के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यवस्था की गई। 44 सरकारी विभागों को इस कानून के दायरे में लाया गया। शिकायतें तो आनी शुरू हो गईं, पर जनता का सीधा जुड़ाव अधिकारियों के साथ समाप्त हो गया।  प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि एनडीए की नई गठित हो रही सरकार में फिर से अधिकारियों के साथ प्रत्यक्ष जुड़ाव के लिए जिला और विभागवार जनता दरबार शुरू किए जाने की तैयारी है।


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