नवरात्र: इस बार नाव पर सवार होकर आएंगी माता, कलश स्थापन कल
इस बार वांसतिक नवरात्र आठ दिनों का है। कलश स्थापना बुधवार को होगी। माता नाव पर सवार होकर आएंगी।
पटना [जेएनएन]। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी की आराधना व उपासना का पर्व वासंतिक नवरात्र बुधवार से शुरू होगा। इस बार प्रतिपदा व द्वितीय तिथि एक दिन होने से नवरात्र आठ दिनों का होगा। इस बार माता नाव पर सवार होक आ रही हैं, जबकि मनुष्य के कंधे पर प्रस्थान करेंगी।
पटना के पंडित विनोद झा वैदिक ने बताया कि कलश स्थापना के लिए 29 मार्च की सुबह छह बजकर 33 मिनट से शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा जो 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। मीन लग्न छह बजकर 39 मिनट तक तथा स्थिर लग्न आठ बजकर 17 मिनट से लेकर 10 बजकर 12 मिनट तक होगा जो जातकों के लिए शुभ फलदायी है।
कलश स्थापना के पहले दिन ही माता शैलपुत्री और ब्रहृाचारणी की पूजा होगी। पंचांगों के अनुसार इस बार देवी दुर्गा का आगमन नौका पर हो रहा है। दसवीं के दिन माता मनुष्य के कंधे पर प्रस्थान करेंगीं। पंडित श्रीनिवास पाठक ने बताया कि देवी दुर्गा का आगमन और प्रस्थान दोनो ही शुभफलदायी है। तीन अप्रैल को महानिशा और चार अप्रैल को महाअष्ठमी व्रत और निशा पूजा होगी। चार अप्रैल की दोपहर दो बजकर 43 मिनट से नवमी तिथि शुरू हो जाएगी जो पांच अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।
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पांच अप्रैल को रामनवमी
चैत्र नवरात्र से ही नववर्ष के पंचांग की गणना प्रारंभ होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां शक्ति अवतरित हुई थीं और देवी के कहने पर ही ब्रह्मा को सृष्टि निमार्ण करने का आदेश दिया गया था। पंडित नागेन्द्र दास बताते हैं कि पुराणों में वर्णन है कि नवरात्र के तीसरे दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर भक्तों का उद्धार किया था। भगवान विष्णु के अन्य अवतार माने जाने वाले भगवान श्रीराम का जन्म भी चैत्र नवमी को ही हुआ था। इस बार पांच अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी।
मंदिरों में हो रही तैयारी
नवरात्र को लेकर शहर के बांस घाट काली मंदिर, अगमकुआं, छोटी एवं बड़ी पटनदेवी, दरंभगा हाउस आदि कई शक्ति पीठ मंदिरों में विशेष तैयारी हो रही है। कलश स्थापना के साथ श्रद्धालु मां दुर्गा की आराधना पूरे विधि-विधान से करेंगे। कई मंदिरों में विशेष पूजा होगी।