टूट रहे मिथक, कर्मकांड कराने के लिए आगे आ रहीं महिलाएं
पूजा-पाठ कर्मकांड या कोई धाíमक अनुष्ठान कराने में पुरोहित की भूमिका निभा रहीं महिलाएं
प्रभात रंजन, पटना। पूजा-पाठ, कर्मकांड या कोई धाíमक अनुष्ठान कराने में पुरोहित की भूमिका आम तौर पर पुरुष ही निभाते रहे हैं। महिलाओं को इस भूमिका में कम ही देखा गया है। कंकड़बाग स्थित गायत्री शक्तिपीठ मंदिर इस स्थिति को बदल रहा है। यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद 150 से अधिक महिलाएं घरों और मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान पूरे करा रही हैं। ये महिलाएं अलग-अलग जाति-वर्ग से हैं। सभी संस्कृत में मंत्रों का शुद्ध उच्चारण कर लेती हैं।
सात से आठ दिनों का मिलता है प्रशिक्षण : गायत्री शक्तिपीठ, पटना जोन के जोनल समन्यवक डॉ. अशोक कुमार बताते हैं कि गायत्री शक्तिपीठ के संस्थापक परमपूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य ने गायत्री परिवार से जुडे़ लोगों को पहले-पहल कर्मकांड और वेद की शिक्षा देकर पंडित बनाया। तब से यह सिलसिला जारी है। पटना केंद्र पर महिलाओं को करीब 10 सालों से कर्मकांड, पूजा-पाठ और यज्ञोपवित संस्कार आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए उम्र और जाति का कोई बंधन नहीं है। किसी से कोई शुल्क भी नहीं लिया जाता। शुरुआती दौर में सात से आठ दिनों का प्रशिक्षण दिया जाता है। महिलाएं अपनी इच्छा के अनुसार शांतिकुंज हरिद्वार या फिर पटना में प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं। हर तीन महीने पर उनका वर्कशॉप होता है, जिसमें उनकी दक्षता की परीक्षा होती है। संस्था से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाएं दूसरे लोगों को भी कर्मकांड की शिक्षा दे रही हैं। ये सभी महिलाएं नवचेतना विस्तार केंद्र से जुड़कर काम करती हैं। साथ ही अपने-अपने स्तर से भगवती महिला संगठन बनाकर गायत्री परिवार के मकसद को पूरा कर रही हैं।
पूजा-पाठ से लेकर शादी तक कराती हैं संपन्न : गायत्री शक्तिपीठ से जुड़ी महिला पंडित गुड़िया शक्तिपीठ में सरस्वती ऋतंभरा के नाम से जानी जाती हैं। वह बताती हैं कि उनके पिता सत्येंद्र नारायण राय का जुड़ाव शक्तिपीठ हरिद्वार से रहा। उन्होंने गुरुदेव से दीक्षा प्राप्त की थी। पिता के कहने पर गुड़िया ने भी दीक्षा प्राप्त की। वह भगवती महिला संगठन का संचालन करती हैं। वह बताती हैं कि पूजा-पाठ से लेकर शादी-विवाह तक महिला पंडित कराती हैं। यजमान जो दक्षिणा अर्पित करते हैं, वह गायत्री शक्तिपीठ ट्रस्ट को जाता है।