FLASHBACK : एक-एक कर होते रहे विस्फोट, मोदी के लिए डटे रहे लोग
पटना के गांधी मैदान में विस्फोट हो रहे थे, लेकिन भगदड़ नहीं मची। नरेंद्र मोदी को सुनने के लिए लाेग डटे रहे। यह नजारा था 27 अक्टूबर 2013 का। आज मोदी उसी गांधी मैदान में फिर आए थे।
पटना [अमित आलोक]। एक के बाद एक विस्फोट हो रहे थे। हर तरफ खून पसरा था। लेकिन, दीवानगी ऐसी कि लोग डटे रहे। स्थान था पटना का गांधी मैदान और मौका था भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की 'हुंकार रैली' का। 27 अक्टूबर 2013 को हुए उस सीरियल ब्लास्ट में कई लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। उस घटना के बाद नरेंद्र मोदी आज पहली बार उसी मैदान में थे।
27 अक्टूबर 2013 को गांधी मैदान में भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की 'हुंकार रैली' थी। रैली के पहले गांधी मैदान में पांच और पटना जंक्शन पर दो धमाके हुए। इन धमाकों में अाधा दर्जन लोग मारे गए तथा 83 घायल हुए। दरअसल, मोदी आतंकियों की हिट लिस्ट में पहले से रहे हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था में कहीं कोई चूक हुई, जिसका लाभ अातंकवादियों को मिल गया था।
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रैली में जन सैलाब उमड़ पड़ा था कि अचानक विस्फोट-पर-विस्फोट होने लगे। चारों तरफ खून बहने लगा। लेकिन, जनता ने धैर्य नहीं खोया। कोई भगदड़ नहीं मची, अन्यथा भगदड़ में ही अनेक लोग मारे जाते।
इस विस्फोट की साजिश इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) यासीन भटकल के निकट सहयोगी आंतकी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू ने रची थी। तहसीन बिहार के समस्तीपुर के कल्याणपुर का मूल निवासी है। उसने विस्फोट में नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रची थी, लेकिन नाकामयाब रहा। उसे 2014 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था। उसे हैदराबाद सीरियल ब्लास्ट में कोर्ट ने फांसी की सजा दी है।
तहसीन पर पटना व गया बम ब्लास्ट सहित आधा दर्जन अन्य आतंकी घटनाओं के मामले चल रहे हैं। गांधी मैदान में हुए उस सीरियल ब्लास्ट के तीन साल गुजर चुके हैं, लेकिन इस मामले में अभी तक तहसीन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं हुआ है। जबकि, उसी साल करीब छह महीने पहले हुए हैदराबाद ब्लास्ट में कोर्ट ने उसे फांसी की सजा दे दी है। दरअसल, गांधी मैदान ब्लास्ट में आइएम के 11 आतंकियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है, लेकिन इनमें तहसीन शामिल नहीं है।
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हुंकार रैली में आतंकी हमला के बाद मारे गए लोगों के परिजनों से मोदी ने इच्छा जताई थी। उनकी इच्छा रैली में मारे गये सभी छह लोगों के परिवारों से मिलने की थी, लेकिन मौसम खराब होने के कारण दो परिवारों से नहीं मिल सके थे। मौसम की खराबी के कारण वे गोपालगंज और सुपौल नहीं जा सके थे। तब उन्होंने कहा था कि उनकी इच्छा भविष्य में दोनों परिवारों से मिलने की है। घटना के बाद नरेंद्र मोदी उसी गांधी मैदान में पहली बार आए थे।