जक्कनपुर में दबोचे गए एटीएम कार्ड क्लोनिंग करने वाले गिरोह के चार जालसाज
पटना। लोगों की मदद के नाम पर एटीएम के पास खड़े होकर हैंड स्किमिंग डिवाइस के जरिए एटीएम का क्लोन बनाने वाले साइबर ठग पकड़े गए हैं।
पटना। लोगों की मदद के नाम पर एटीएम के पास खड़े होकर हैंड स्किमिंग डिवाइस के जरिए एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर खाते से रुपए उड़ाने वाले गिरोह के चार जालसाजों को जक्कनपुर थाने की पुलिस ने शुक्रवार को बाईपास से गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से एक स्किमिंग डिवाइस, दस क्लोन एटीएम कार्ड, एक लैपटॉप व एक स्विफ्ट कार बरामद हुई है। गिरफ्तार कन्हैया, कन्हाई, गौतम कुमार और रोहित नवादा जिले के ईशुआ और नरहट गांव के रहने वाले हैं। जक्कनपुर थानेदार मुकेश कुमार वर्मा ने बताया कि इस तरह के कई और गिरोह हैं, जिनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। 25 हजार रुपये जमा कर दूसरे गिरोह से लेते थे स्किमिंग डिवाइस: पिछले कुछ दिनों से जक्कनपुर थाना क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक एटीएम से फर्जी निकासी का मामला प्रकाश में आया। पुलिस ने इस मामले की छानबीन शुरू की। तकनीकी जांच के बाद एक एटीएम के पास तीन संदिग्ध मोबाइल पुलिस के हाथ लगे। पुलिस ने इनके नंबर को सर्विलांस पर लिया। इसके बाद कन्हैया और उसके साथियों का लोकेशन बाईपास के पास मिला। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि गया में सक्रिय गैंग से स्किमिंग डिवाइस को 20 से 25 हजार रुपए सिक्योरिटी मनी जमा करके लेते थे। डिवाइस इतना छोटा है कि मुट्ठी में आ जाता है। इसके बाद गैंग ऐसे एटीएम पर पहुंचता था, जहां सिक्योरिटी गार्ड और कैमरा न मिले। वहां ऐसे लोगों पर नजर रखते थे, जिन्हें एटीएम से रुपए निकालने में परेशानी होती थी। उनकी मदद के नाम पर वह एटीएम मांगते थे और कार्ड को मुट्ठी में लिए स्किमिंग डिवाइस से स्वैप कर देते। इससे डिवाइस में लगे स्कीमर में डाटा स्टोर हो जाता था। स्कीमर में ग्राहक के एटीएम कार्ड की पूरी जानकारी स्टोर हो जाती थी। इसमें बैंक खातेदार का नाम, उसके द्वारा किया गया ट्रांजेक्शन व बैलेंस का पता चल जाता था। गिरोह दिन भर में यह गैंग पांच से छह लोगों को शिकार बनाता था। सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार करते हैं क्लोन एटीएम कार्ड: एटीएम कार्ड का डाटा चुराने के बाद कन्हैया गया और पटना में छिपे उन गिरोह से संपर्क करता था जिसने उन्हें स्किमिंग डिवाइस दिया था। उनके पास लैपटॉप में एक साफ्टवेयर अपलोड था, जिसमें डिवाइस को जोड़कर पूरे डाटा को क्लोन कार्ड में लोड किया जाता था। जिस ग्राहक का डाटा क्लोन कार्ड में अपलोड करते थे उनके पास उनके एटीएम का पिन कोड भी होता था। क्लोन एटीएम कार्ड और पिन कोड के जरिए खाते से रुपए की निकासी कर लेते थे। हर महीने पाचं से छह लाख रुपए की करते थे जालसाजी: डिवाइस का इस्तेमाल 15 से 20 एटीएम कार्ड का डाटा चुराने में किया जाता था। इसके बाद कन्हैया उसे गया में सक्रिय गिरोह को वापस कर देता था। अगर उस डिवाइस से एक लाख रुपए की जालसाजी होती थी तो डिवाइस देने वाले गिरोह 30 हजार रुपए लेता था। बाकी सिक्योरिटी मनी भी वापस कर देता था। गिरोह हर महीने कम से कम एटीएम से पांच से छह लाख रुपए की जालसाजी कर लेता था। बरामद कार भी एटीएम फॉर्ड से खरीदी गई थी।
कोलकाता गिरोह की मदद से लकी ड्रा डलवाते थे फर्जी नंबर: गिरोह एटीएम क्लोनिंग के साथ ही लकी ड्रा के नाम पर फर्जीवाड़ा करता था। पूछताछ में पता चला कि कोलकाता के एक ऐसे गैंग से इनका कनेक्शन है जो 2500 रुपए में फर्जी आइडी पर सिम कार्ड और मोबाइल उपलब्ध कराता था। साथ ही वहीं गैंग फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया पर आने वाले लकी ड्रा सहित अन्य ऑफर में अपना फेक नंबर अपलोड करा देता था। यहां तक कि 17 हजार रुपए देकर कोलकाता में ही जनधन योजना के नाम पर फेक आइडी पर बैंक अकाउंट खोलवाते थे। लकी ड्रा के नाम पर ग्राहक से कार जीतने के नाम पर रजिस्ट्रेशन या अन्य टैक्स के नाम पर मांगी जाने वाली राशि उसी अकाउंट में मंगाई जाती थी।