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सुशील मोदी बोले- टुकड़े-टुकड़े गैंग के पोस्टर और खालिस्तान के नारों से बिगड़ी अन्नदाता की छवि

सुशील मोदी ने शुक्रवार को किसान आंदोलन में शामिल लोगों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि आखिर कौन है जो अन्नदाता किसान की भारत विरोधी छवि बना रहा है? और संसद से पारित कानूनों को रद करने की जिद को हवा दे रहा है?

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 11 Dec 2020 06:57 PM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 07:47 AM (IST)
सुशील मोदी बोले- टुकड़े-टुकड़े गैंग के पोस्टर और खालिस्तान के नारों से बिगड़ी अन्नदाता की छवि
बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी। जागरण आर्काइव।

पटना, जेएनएन। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को किसान आंदोलन में शामिल लोगों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि आखिर कौन है जो अन्नदाता किसान की भारत विरोधी छवि बना रहा है? साथ ही संसद से पारित कानूनों को रद करने की जिद को हवा दे रहा है? मोदी ने कहा कि ये साबित करता है कि दिल्ली के किसान आंदोलन में भारत विरोधी ताकतें घुस आयी हैं या कुछ किसान संगठन ऐसी ताकतों का एजेंडा चला रहे हैं। किसान आंदोलन के नाम पर हाईवे जाम करना, उसमें टुकडे-टुकडे गैंग के छात्र नेताओं की फोटो लगाकर उनकी रिहाई की मांग करना, खालिस्तान के समर्थन में नारे लगना और देश के दो औद्योगिक घरानों के व्यवसाय को निशाना बनाना..ये क्या है। 

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आपत्तिजनक पोस्टरों-नारों पर देश को सफाई दें

ट्विटर पर पर बीजेपी नेता सुशील मोदी ने लिखा कि जो किसान संगठन वास्तव में समाधान चाहते हैं, उन्हें आपत्तिजनक पोस्टरों-नारों पर देश को सफाई देनी चाहिए। केंद्र के प्रस्ताव पर किसान फिर विचार करें, संवाद से ही होगा समाधान। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर प्रधानमंत्री के बयान साझा किए। लिखा कि नये संसद भवन के लिए भूमिपूजन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक की वाणी याद करते हुए कहा कि जब तक दुनिया रहे, तब तक संवाद चलते रहना चाहिए, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गुरु के कुछ बंदे कृषि कानून के विरोध में संवाद की जगह हाईवे और ट्रेन रोकने की बात कर रहे हैं। 

किसान संगठनों को ठंडे मन से पुनर्विचार करना चाहिए

केंद्र सरकार ने एमएसपी और मंडी सहित जिन छह मुद्दों पर किसानों की बात मान लेने का प्रस्ताव दिया है, उस पर किसान संगठनों को ठंडे मन से पुनर्विचार करना चाहिए। इस मुद्दे पर जिस तरह से विपक्षी दलों का भारत बंद बेअसर रहा, उससे जाहिर है कि जनता ने टकराव की राजनीति को नकार दिया। 


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