बिहार विधानसभा के इतिहास में पहली बार पुलिस बलों की मौजूदगी में कार्यवाही, शिवानंद ने सीएम नीतीश से पूछा- क्या यह जरूरी था
यह पहला मौका था जब सदन के भीतर पुलिस के जवानों को विपक्ष के हंगामे को रोकने के लिए बुलाया गया। स्टेट रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को विधानसभा के चप्पे-चप्पे पर लगा दिया गया। बड़ी संख्या में स्टेट रैपिड एक्शन फोर्स के जवान सदन के भीतर भी मौजूद थे।
पटना, राज्य ब्यूरो । विधानसभा में मंगलवार को यह इतिहास भी बन गया। यह पहला मौका था जब सदन के भीतर पुलिस के जवानों को विपक्ष के हंगामे को रोकने के लिए बुलाया गया था। विपक्षी नेताओं ने सुबह से ही भारी हंगामे के बीच जब विधान सभा अध्यक्ष को उनके चैंबर में ही बंधक बना लिया, अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही शुरू कराने से रोका तब भारी संख्या में पुलिस बुलानी पड़ी।
घंटों चले पुलिस और विधायकों के बीच धक्का-मुक्की और मारपीट के बाद सदन की कार्यवाही शाम करीब साढ़े सात बजे फिर शुरू हुई । तब स्टेट रैपिड एक्शन फोर्स के लगभग एक सौ जवानों को विधानसभा के चप्पे-चप्पे पर लगा दिया गया। बड़ी संख्या में स्टेट रैपिड एक्शन फोर्स के जवान सदन के भीतर मौजूद थे। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के आसन इर्द-गिर्द अपनी पोजीशन ले ली थी। नेता प्रतिपक्ष की इन जवानों से कहासुनी भी हो गयी। कुछ देर बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इन जवानों को सदन से हटा दिया।
क्या यह जरूरी था नीतीश जी!
मंगलवार को विधान सभा में जो शर्मनाक घटना घटी उसपर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने आज विधानसभा में जो कुछ हुआ वह क्या ज़रूरी था नीतीश जी! सरकार के पास पर्याप्त पुलिस बल है। एक-एक विधायक पर दस-दस पुलिसवालों को लगाकर उनको उठाकर कहीं भी पहुँचा दिया जा सकता था। लेकिन विधायकों के साथ जिस ढंग का व्यवहार हुआ है वह भविष्य के प्रति शुभ संकेत नहीं है।
पुलिस और प्रशासन का चरित्र औपनिवेशिक
हमारे पुलिस और प्रशासन का चरित्र औपनिवेशिक है। अंग्रेजों ने इसका गठन जनता की सेवा के लिए नहीं बल्कि उनके दमन के लिए किया था। जहाँ भी सरकार के विरुद्ध स्वर उभरे, तत्क्षण उसे वहीं कुचल दिया जाए। इसके गठन का आधार यही था। उसी पुलिस बल को नीतीश जी निरंकुश बनाने वाला क़ानूनी अधिकार देने जा रहे हैं। आज भी अंग्रेजों की बनाई मानसिकता से ही पुलिस बल काम कर रहा है। उसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है। विधानसभा की आज की घटना ने यही साबित किया है।
ऐसे में विरोधी दल के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था ! सरकार के ख़िलाफ़ समाज के अलग अलग तबकों का आज विरोध प्रदर्शन हो रहा है। शिक्षक हों या जीविका दीदी, सब बेचैन हैं। नीतीश जी अंग्रेजों की तरह ही सारे सभी विरोधों को कुचल देने की क़ानूनी ताक़त से पुलिस बल को लैस कर रहे हैं। इसलिए जैसे भी संभव था, प्रतिप़क्ष ने उक्त क़ानून का विरोध किया है और आगे इस विरोध को जारी रखेंगे।