यास तूफान के बाद बिहार में बाढ़ का खतरा, सरकार अलर्ट, नदियों और जलाशयों की निगरानी बढ़ी
प्रदेश में बाढ़ के खतरे को देखते हुए एहतियाती इंतजाम तेज कर दिए गए हैं। संवेदनशील व अतिसंवेदनशील स्थलों को चिह्नित कर सौ-सौ मजदूर लगाए गए हैं। जल संसाधन मंत्री ने बताया 298 बाढ़ सुरक्षात्मक योजनाओं में से 209 का काम हुआ पूरा हुआ।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार में रविवार, 30 मई तक यास तूफान के संभावित असर और भारी बारिश को देखते हुए जल संसाधन विभाग अलर्ट है। संवेदनशील और अतिसंवेदनशील स्थलों पर बाढ़ बचाव सामग्री का भंडारण और पर्याप्त संख्या में मैनपावर को प्रमुख स्थलों पर लगाया गया है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी संवेदनशील स्थलों को चिह्नित कर सौ-सौ मजदूरों की व्यवस्था की गई है। इस बीच भारी बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ा है। विभाग द्वारा सभी गेटेड बराज जैसे इंद्रपुरी बराज, वाल्मीकि नगर बराज, कोसी बराज, उदेरास्थान बराज, रामपुर लवाइच बराज आदि की सूक्ष्म निगरानी के साथ 23 जलाशयों के जलस्तर की प्रति घंटे मॉनीटरिंग की जा रही है।
फिलहाल खतरे के निशान के नीचे हैं नदियां
जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि बिहार की ज्यादातर नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई हैं। हालांकि उत्तर एवं दक्षिण बिहार की सभी नदियां अभी खतरे के निशान से नीचे हैं। नेपाल प्रभाग के जलग्रहण क्षेत्र में अधिक बारिश से कोसी और गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है। फल्गु, पुनपुन, दरधा, सकरी आदि नदियों के जलस्तर में भी वृद्धि दर्ज की गई हैं, लेकिन सभी खतरे के निशान से नीचे बह रही हैं।
हो रही सतत निगरानी
बकौल संजय झा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर विभाग द्वारा बिहार की सभी नदियों की सतत निगरानी की जा रही है। इसके अलावा पानी की निकासी में कोई बाधा न आए, इसलिए जरूरत के हिसाब से सभी गेटेड हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर के गेट का संचालन विभाग द्वारा किया जा रहा है।
जल संसाधन विभाग द्वारा इस वर्ष संभावित बाढ़ से सुरक्षा के लिए राज्य में 298 योजनाओं के क्रियान्वयन में 209 का काम पूरा कर लिया गया है। शेष योजनाओं को भी शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा।