कोरोना काल में बिहार की जेलों में चार महीने में बढ़ गए पांच हजार नए कैदी, 59 में 44 'हाउसफुल'
राज्य की 59 में 44 जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। राज्य की जेलों की कुल क्षमता 46619 है जबकि 56 हजार से अधिक कैदी जेलों में बंद हैं। सबसे अधिक दबाव बाढ़ भभुआ सीतामढ़ी जमुई औरंगाबाद मधेपुरा जैसे जेलों में हैं
कुमार रजत, पटना: कोरोना काल में भी बिहार के जेल हाउसफुल हैं। राज्य की 59 में 44 जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। राज्य की जेलों की कुल क्षमता 46,619 है, जबकि 56 हजार से अधिक कैदी जेलों में बंद हैं। सबसे अधिक दबाव बाढ़, भभुआ, सीतामढ़ी, जमुई, औरंगाबाद, मधेपुरा जैसे जेलों में हैं, जहां दोगुने से भी अधिक कैदी बंद हैं। पटना, बक्सर, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया स्थित केंद्रीय कारा में भी डेढ़ गुणा कैदी बंद हैं। लंबे समय से जमानत प्रक्रिया प्रभावित रहने के कारण भी जेलों पर दबाव बढ़ा है। सिर्फ इस साल चार महीनों में पांच हजार से अधिक कैदियों का अतिरिक्त दबाव जेलों पर पड़ा है। 31 दिसंबर, 2020 को बिहार के जेलों में कैदियों की कुल संख्या 51,270 थी जो अप्रैल में बढ़कर 56,424 हो गई है।
आठ केंद्रीय कारा, चार में डेढ़ गुना कैदी
राज्य में आठ केंद्रीय कारा हैं। इसमें सात में क्षमता से अधिक कैदी हैं। चार तो ऐसे हैं, जिसमें डेढ़ गुणा कैदी बंद हैं। इसमें पटना स्थित आदर्श केंद्रीय कारा बेऊर में 2,360 की तुलना में 4,233, बक्सर सेंट्रेल जेल में 1,126 की तुलना में 1,709, मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में 2,135 की तुलना में 3,215 और पूर्णिया सेंट्रल जेल में 1,198 की तुलना में 1,853 कैदी बंद हैं। वहीं मोतिहारी सेंट्रल जेल में 2,503 की तुलना में 2,782, भागलपुर सेंट्रल जेल में 1,962 की तुलना में 2,171 और गया सेंट्रल जेल में 2,606 की तुलना में 2,714 कैदी बंद हैं। भागलपुर स्थित स्पेशल सेंट्रल जेल एकमात्र केंद्रीय कारा है, जहां क्षमता से कम कैदी हैं। यहां 3,288 की तुलना में महज 1,678 कैदी हैं, जो लगभग 51 फीसद है।
आंकड़ों पर डालें नजर
56,424 कैदी हैं राज्य की जेलों में
46,619 क्षमता है राज्य की जेलों की
51,270 कैदी बंद थे दिसंबर 2020 में
पुरुष कैदियों का दबाव ज्यादा
बिहार की जेलों में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष कैदियों का दबाव ज्यादा है। अप्रैल की रिपोर्ट के अनुसार, जेलों में पुरुष कैदियों को रखने की क्षमता 44,572 है, जिसकी तुलना में 54,296 कैदी हैं। वहीं 2,047 महिला कैदियों की तुलना में 2,128 महिलाएं जेलों में बंद हैं। महिलाओं की कई जेल ऐसी हैं, जो बहुत हद तक खाली हैं, जबकि कुछ जेलों में पांच गुना तक भीड़ है। उदाहरण के लिए, अररिया जिला जेल में सौ की क्षमता है, जबकि 13 महिला कैदी ही हैं। मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में भी 143 की अपेक्षा 113, दलसिंहसराय जेल में 164 के बजाय 111 ही महिला कैदी हैं।
जल्द मिल सकती है कैदियों को राहत
सुप्रीम कोर्ट ने आठ मई को ही कोरोना संक्रमण को देखते हुए जेलों में कैदियों का दबाव कम करने का निर्देश दिया था। इस दिशा में बिहार में भी पहल शुरू हुई है। जेल प्रशासन की ओर से गृह विभाग को इससे जुड़ा प्रस्ताव भेजा गया है। राज्य के जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने के लिए पटना हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। निचली अदालतों में भी वर्चुअल मोड पर जमानत अर्जी पर सुनवाई शुरू करने की तैयारी है।
इन जेलों में दोगुने से भी अधिक पुरुष कैदी
कारा क्षमता कैदी फीसद
सीतामढ़ी जेल 308 868 282
मधेपुरा जेल 172 472 274
औरंगाबाद जेल 286 757 265
जमुई जेल 184 463 252
बाढ़ सब जेल 165 382 232
भभुआ जेल 352 731 208
इन जेलों में दोगुने से पांच गुना महिला कैदी
कारा क्षमता कैदी फीसद
भभुआ जेल 03 16 533
जमुई जेल 04 19 475
सासाराम जेल 10 43 430
सहरसा जेल 10 35 350
बेतिया जेल 20 50 250
सिवान जेल 20 50 250