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बिहार में खास बंगले की कहानी: सबसे पहले राबड़ी ने दिया था लालू को बंगला, जानिए

पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बिहार में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिला सरकारी बंगला खाली करना होगा। सबसे पहले बंगला लालू यादव और राबड़ी देवी को मिला, जानिए

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 07:19 PM (IST)
बिहार में खास बंगले की कहानी: सबसे पहले राबड़ी ने दिया था लालू को बंगला, जानिए
बिहार में खास बंगले की कहानी: सबसे पहले राबड़ी ने दिया था लालू को बंगला, जानिए

पटना [अरुण अशेष]। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को पहले आवास और फिर सुरक्षा एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का मामला ठीक 19 साल पुराना है। ये सुविधाएं किसी सरकारी आदेश से नहीं, अधिनियम से दी जा रही थीं। हां, मुख्यमंत्री की हैसियत से नीतीश कुमार ने सुविधाओं का विस्तार किया।

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पहले लालू प्रसाद और राबड़़ी देवी ही इसके हकदार थे। नौ साल पहले पात्रता का दायरा इस हद तक बढ़ाया गया, जिसमें सभी पूर्व मुख्यमंत्री सुविधा के हकदार हो गए। 

इन सुविधाओं की बुनियाद 2000 में पड़ी थी। उस साल सात दिनों के भीतर राज्य को दो सरकारें मिली थीं। पहली-नीतीश कुमार की और दूसरी राबड़ी देवी की। सुविधाओं वाला यह विशेष सुरक्षा अधिनियम 2000 राबड़ी देवी के मुख्यमंत्रित्व काल में आया।

मूल अधिनियम में आवास और सुरक्षा की सुविधा उन पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई थी, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया हो। जाहिर है, नीतीश कुमार पूर्व मुख्यमंत्री हो गए थे। लेकिन, पांच साल कार्यकाल की शर्त के चलते उन्हें इस सुविधा का लाभ नहीं मिल सकता था।

नीतीश ही क्यों, इसके दायरे में लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के अलावा कोई पूर्व मुख्यमंत्री नहीं आ रहे थे। डा. जगन्नाथ मिश्र भले ही तीन बार मुख्यमंत्री रहे हों, लेकिन उनका कोई कार्यकाल पांच साल का नहीं था। पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास और सतीश प्रसाद सिंह भी सुविधाओं से वंचित हो गए थे।

विवाद उस समय भी हुआ था। विशेष सुरक्षा अधिनियम के विधेयक को तत्कालीन राज्यपाल विनोद चंद्र पांडेय ने वापस कर दिया था। उनकी आपत्ति सुरक्षा को लेकर थी। मूल विधेयक में प्रावधान था कि पूर्व मुख्यमंत्री देश के किसी हिस्से में जाएंगे, उनकी सुरक्षा के लिए बिहार पुलिस जाएगी।

राज्यपाल के एतराज के बाद इस प्रावधान को हटाया गया। क्योंकि इससे पुलिस अधिनियम और विशेष सुरक्षा अधिनियम के बीच टकराव हो रहा था। खास बात यह है कि इस अधिनियम का मकसद पूर्व मुख्यमंत्रियों को नक्सली और आतंकवादी हमले से बचाना था।

2000 से 2005 के बीच इस सुविधा की परिधि में सिर्फ लालू प्रसाद थे। उसके बाद के पांच वर्षों में राबड़ी देवी भी इसके लिए अधिकृत थीं। 2010 के अप्रैल महीने में नीतीश सरकार ने अधिनियम में संशोधन किया। अब इसमें पांच साल के कार्यकाल की अनिवार्यता समाप्त हो गई थी।

एक नया अध्याय यह जुड़ा कि परिवार के दो सदस्य यदि पूर्व मुख्यमंत्री हैं तो आवासीय सुविधा एक ही रहेगी। इसी अध्याय के चलते लालू प्रसाद और राबड़ी देवी एक ही आवास में रह रहे थे। जबकि पांच साल के कार्यकाल की बाध्यता खत्म होने का लाभ डा. जगन्नाथ मिश्र और सतीश प्रसाद सिंह को मिल रहा था।  


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