बिहार की पहली महिला डिप्टी सीएम रेणु देवी फर्राटे से बांग्ला बोलती हैं, बंगाल में बनेंगी भाजपा की तुरुप का पत्ता
भाजपा ने बिहार में रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाकर एक साथ पांच राज्यों को साधने का काम किया है। नोनिया समाज की रेणु की हिंदी अंग्रेजी भोजपुरी और बांग्ला भाषा पर अच्छी पकड़ है। जानिए भाजपा के इस सियासी संदेश का मतलब ।
रमण शुक्ला, पटना । देश में सर्वाधिक राजनीतिक जागरूकता वाले प्रदेश में शुमार बिहार में भाजपा ने रेणु देवी को पहली महिला उप मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा सियासी संदेश दिया है। पार्टी ने एक साथ सीधे तौर पर पांच प्रदेश को साधने का काम किया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि रेणु भाजपा के लिए बंगला चुनाव में तुरुप का पत्ता साबित हो सकती हैैं। वहीं, बिहार के साथ उत्तर प्रदेश, झारखंड और मध्य प्रदेश के नोनिया बिरादरी के मतदाताओं के बीच भी अहम संदेश जाएगा।
बेतिया से पांचवीं बार भाजपा विधायक चुनी गईं रेणु ने अपना राजनीतिक सफर विश्व हिंदू परिषद के दुर्गावाहिनी से शुरू किया था। बीए तक शिक्षा ग्रहण करने वाली नोनिया समाज की रेणु की हिंदी, अंग्रेजी, भोजपुरी और बांग्ला भाषा पर अच्छी पकड़ है। भाजपा में फर्राटेदार बांग्ला बोलने वाली नेत्री की प्रतिभा को देखते हुए बंगला चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चा है। बतौर उप मुख्यमंत्री रेणु को तीन विभागों का दायित्व सौंपा गया है। पिछड़ा एवं अति पिछड़ा विभाग, पंचायती राज विभाग और उद्योग विभाग की मंत्री बनाईं गईं हैं।
रेणु के जरिए सियासी समीकरण
बिहार में अगर चुनावी बिसात की बात करें तो शह-मात का खेल जातीय समीकरणों से तय होता है। इस लिहाज से देखें तो भाजपा ने राजनीतिक दूरदृष्टि को अमल में लाकर 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा की अपनी बिसात बिछा दी है। रेणु देवी को आगे लाकर भाजपा ने अतिपिछड़ा वर्ग के साथ महिला मतदाताओं को सियासी संदेश देने की रणनीति चली है। भाजपा बिहार में एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में आने के बाद अब नंबर वन पार्टी बनने की दिशा में कदम बढ़ रही है। भाजपा की नजर सीधे-सीधे लालू यादव के अतिपिछड़ा और महिला वोट बैंक पर है। पार्टी इसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए रेणु को भाजपा विधायक दल का उपनेता की जिम्मेदारी दी है। आने वाले दिनों रेणु अतिपिछड़ी जाति को भाजपा की विचारधारा से जोडऩे में ट्रंप कार्ड साबित हो सकती हैं।
बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक 75 सीटों पर राजद ने परचम लहाराया है। भाजपा 74 सीटें जीत कर दूसरे नंबर पर रही। जदयू ने 43, कांग्रेस ने 19 और अन्य दलों और निर्दलीय के खाते में 31 सीटें गईं। भाजपा-जदयू के साथ सरकार बनाने में जरूर सफल रही, पर इसका वोट शेयर लुढ़क गया। वहीं, राजद और कांग्रेस के वोट शेयर में इजाफा हुआ है।
भाजपा ने 2005 के फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में 10.97 फीसद वोट पाया था। यह बढ़त 2015 तक लगातार बढ़त जारी रही। 2015 में दो गुना से ज्यादा बढ़कर 24.42 फीसद पहुंच गया था। पर, 2020 के चुनाव में भाजपा का वोट शेयर गिरकर 19.46 फीसद पर आ गया है।
दुर्गा वाहिनी से शुरू किया राजनीतिक सफर
पहली नवंबर, 1959 को पैदा हुईं रेणु का बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव रहा है। निजी कंपनी पियरलेस की एजेंट रहीं रेणु की 1981 में सामाजिक जीवन में उनका पदार्पण हुआ। चंपारण और उत्तर बिहार को कार्यक्षेत्र बनाकर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ीं। 1988 में विश्व हिंदू परिषद की दुर्गावाहिनी की जिला संयोजक बनाईं गईं थीं।
राम मंदिर आंदोलन में गईं थी जेल
र णु ने राम मंदिर आंदोलन में भी बड़ी भूमिका निभाईं थीं। करीब 500 महिला कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तारी दी थी। 1989 में भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष चुनी गईं। 1990 में तिरहुत प्रमंडल में महिला मोर्चा की प्रभारी बनीं। 1991 में प्रदेश महिला मोर्चा की महामंत्री बनीं। 1992 में जम्मू-कश्मीर तिरंगा यात्रा में शामिल हुई। 1993 में भाजपा बिहार प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष चुनी गई। 1996 में फिर महिला मोर्चा की अध्यक्ष बनीं। पार्टी ने संगठनात्मक क्षमता को देखते हुए 2014 में वे भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुनी गईं।
हार गईं थीं 1995 में नौतन से पहला चुनाव
रेणु पहली बार 1995 में नौतन विधान सभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी, लेकिन हार गईं थीं। 2000 में बेतिया विधान सभा सीट से चुनाव लड़ी और जीती। 2005 फरवरी व नवंबर में बेतिया से फिर विधायक बनीं। पहली बार 2007 में एनडीए सरकार में बिहार की कला संस्कृति मंत्री बनाईं गईं थीं। 2010 में भी विधायक बनीं। 2015 में कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी से चुनाव हार गई। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर बेतिया से कांग्रेस के मदन मोहन तिवारी को हरा दिया। रेणु देवी बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ अभियान के तहत सदस्य के रूप में कार्य कर रही है।
अति पिछड़ा समाज को जोड़ा
बिहार में नोनिया , बिंद, मल्लाह तुरहा आदि जाति को पार्टी की विचारधारा से जोड़ा। राष्ट्रीय स्तर पर अतिपिछड़ा की मजबूत जातियों नोनिया (चौहान), उपहारा /सागरा , लबाना (पंजाब ), सदर समाज (गुजरात ) के बीच जाकर अलख जगाया और पार्टी से जोड़ा। 2007 में बिहार सरकार की ओर से मॉरीशस भेजे गए डेलिगेशन में भी वे शामिल थीं।