अनूठा था पहला गणतंत्र दिवस समारोह
बात 26 जनवरी 1950 की है। जब पहली बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्र ध्वज फहराया गया था। इसके पहले ही रेडियो से घोषणा हो चुकी थी कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। गणमान्य लोग राष्ट्र ध्वज को फहराएंगे। इसके लिए तैयारी पहले से ही हो गई थी।
नीरज कुमार, पटना
पटना। बात 26 जनवरी 1950 की है। जब पहली बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्र ध्वज फहराया गया था। इसके पहले ही रेडियो से घोषणा हो चुकी थी कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। गणमान्य लोग राष्ट्र ध्वज को फहराएंगे। इसके लिए तैयारी पहले से ही हो गई थी। मैं उस समय नवीनगर हाईस्कूल का विद्यार्थी था। मेरी उम्र 15 वर्ष थी। पहले से तय था कि स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य राष्ट्र ध्वज सुबह दस बजे फहराएंगे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, 26 जनवरी की सुबह से ही स्कूल में तैयारी शुरू हो गई थी। उस दिन सुबह से ही अच्छी धूप निकली थी। मैं सुबह सात बजे ही स्कूल पहुंच चुका था, क्योंकि मुझे तैयारी में हिस्सा लेना था। धीरे-धीरे अन्य साथी भी आ गए। आठ बजे तक स्कूल सजधज कर दुल्हन की तरह तैयार हो गया। तब तक स्कूल के प्राचार्य भी आ चुके थे। वे बगल के गांव चैनपुर के रहने वाले थे। वे समय के ऐसे पाबंद थे कि उनका कार्यालय आने के मतलब नौ बज चुका है। ये बातें सोमवार को दैनिक जागरण से बातचीत करते बिहार रेडक्रास के पूर्व निदेशक एवं अवकाश प्राप्त आइएएस अधिकारी एसपी सिंह ने कहीं।
इतनी भीड़ इसके पहले
कभी नहीं देखी
उन्होंने कहा कि नौ बजे के बाद स्कूल परिसर में बाहरी लोगों का आना शुरू हो गया। देखते ही देखते कुछ ही देर में पूरा स्कूल परिसर लोगों की भीड़ से खचाखच भर गया। स्कूल की ओर आने वाली सड़कों पर जहां तक नजर जा रही थी, भीड़ ही भीड़ दिखाई दे रही थी। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक स्कूल आ रहे थे। उनमें काफी संख्या में महिलाएं भी थीं। भारत माता की जय, जय हिद के नारों से पूरा वातावरण गूंज रहा था।
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ध्वजारोहण के बाद
चला जलेबी का दौर
उन्होंने कहा कि ध्वजारोहण के बाद शुरू हुआ जलेबी खाने एवं खिलाने का दौर। लोग शहर के हलवाई की दुकानों से जलेबी लेकर स्कूल की ओर आ रहे थे। सभी को जलेबी दिया जाता था। कोई भेदभाव नहीं। देखते ही देखते दुकानों से जलेबी खत्म हो गई। उसके बाद लड्डू का वितरण शुरू हुआ। लोग लड्डु एक-दूसरे को खिलाकर गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दे रहे थे।