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मीटर रिले टेस्टिंग : उपकरणों की मरम्मत करने वाली पहली लैब, विद्युत कंपनी को फायदा

एमआरटी डिवीजन की प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट रिपेय¨रग लैब विद्युत कंपनी को फायदा पहुंच रहा है। इस लैब में करंट ट्रांसफार्मर, रिले कंट्रोल पैनल, रिपेय¨रग, बैट्री चार्ज वगैरह होते रहते है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 May 2018 03:15 PM (IST)Updated: Fri, 11 May 2018 03:15 PM (IST)
मीटर रिले टेस्टिंग : उपकरणों की मरम्मत करने वाली पहली लैब, विद्युत कंपनी को फायदा
मीटर रिले टेस्टिंग : उपकरणों की मरम्मत करने वाली पहली लैब, विद्युत कंपनी को फायदा

पटना [जेएनएन]। पटना मीटर रिले टेस्टिंग (एमआरटी) डिवीजन की प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट रिपेय¨रग लैब विद्युत कंपनी के लिए दुधारू गाय बन गई है। वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (वीसीबी) में लगने वाले करंट ट्रांसफार्मरों, रिले कंट्रोल पैनल की रिपेय¨रग तथा नए बैट्री चार्जर का निर्माण कर यह करोड़ों रुपये की बचत कर रही है। उपकरणों की मरम्मत करने वाली देश में यह पहली लैब है। अमूमन विद्युत कंपनियां सीधे कंपनियों से उपकरणों की खरीद करती हैं।

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विद्युत कंपनी ने इस लैब को दुधारु गाय बनते देखकर इस तरह की लैब की स्थापना मुंगेर, मुजफ्फपुर, पूर्णिया, गया सहित छह जगहों पर करने का निर्णय लिया है। स्थल चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। विद्युत कंपनी के निदेशक पद से सेवानिवृत्त मो. ग्यासुद्दीन ने अपने संसाधनों से इस लैब की शुरूआत नौकरी के दौरान ही की थी।

एक वीसीबी में तीन करंट ट्रांसफॉर्मर लगते हैं। एक में खराबी के बाद करंट ट्रांसफॉर्मर किसी काम का नहीं रह जाता था। अब इसकी मरम्मत होने लगी। एक वीसीबी का मूल्य तीन लाख रुपये है। इसके निर्माण पर महज चार हजार रुपये खर्च आ रहा है। ड्रम में बालू रखकर तेल को फिल्टर करके इसका इस्तेमाल किया जाता है। ग्यासुद्दीन के कार्यो को कार्यपालक अभियंता केके सिंह ने संभाल लिया। कार्य को बखूबी आगे बढ़ा दिया है। विद्युत कंपनी के निदेशक (ऑपरेशन) अशोक कुमार इस लैब के संचालन में भरपूर सहयोग कर रहे हैं। विद्युत कंपनी ने इस यूनिट को लैब घोषित कर दिया है। यहां तैयार उपकरण का अब विद्युत कंपनी का क्रय एवं भंडारण विभाग आवंटन करता है। आर. ब्लॉक में स्थित इस लैब के लिए एक भवन का निर्माण करा दिया गया है। लैब के लिए अभियंताओं की तैनाती कर दी गई है। अब यह लैब राज्यभर की मांग की पूर्ति कर रही है। इस लैब में बैट्री चार्जर का निर्माण होता है। मार्केट में इसका मूल्य 35 हजार रुपये है। यहां महज पांच हजार में एक बैट्री चार्जर बनता है। साथ में दस वर्षो की गारंटी दी जाती है। जबकि मार्केट से खरीदे जाने वाले बैट्री चार्जर की गारंटी नहीं है। अब तक राज्य के सभी पावर सब स्टेशनों में इस लैब से निर्मित बैट्री चार्जर की आपूर्ति हो रही है। पावर सब स्टेशनों के उपकरण को सुरक्षित रखने के लिए बैट्री चार्जर की अहम भूमिका होती है। पावर सब स्टेशनों में वीसीबी को नियंत्रित करने वाले पैनल में लगने वाला रिले भी यहां मरम्मत होता है। इसका मूल्य 18 हजार है। इसके रखरखाव पर कोई खर्च नहीं है। बेकार पा‌र्ट्स का इसके निर्माण में इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है।


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