आठ साल से बीमार मेघदूत नहीं कर सका पटना पर बारिश, जानें कौन है ये
पटना में अग्निशमन विभाग का वाहन मेघदूत पिछले आठ साल से खराब पड़ा है। करीब 14 मंजिल तक लगी आग को बुझाने में सक्षम इस वाहन का खराब होना चिंता का विषय बना है।
पटना, जेएनएन। बहुमंजिली इमारतों में लगी आग पर काबू पाने वाला विदेशी हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म बिहार अग्निशमन सेवा के गले की हड्डी बन गया है। करीब 14 वर्ष पहले इटली से मंगाए गए हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म का नामकरण कर उसे ‘मेघदूत’ नाम दिया गया था। उसे रखने के लिए शेड का इंतजाम नहीं हो सका था और जब तक इंतजाम हुआ तब तक उसमें तकनीकी खराबी आ गई। ऐसे में मेघदूत किसी अगलगी में पानी की बरसात नहीं कर सका है।
14 मंजिल की इमारत पर बुझा सकता था आग
करीब ढाई करोड़ की लागत का हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म वर्ष 2011 से खराब है। इसकी खास बात है कि 42 मीटर अर्थात 14 मंजिल की इमारत में लगी आग पर काबू पाने में यह सक्षम है। इसे चलाने के लिए अग्निशमन के पदाधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया था।
चालकों की बहाली अटकी, मिले छोटे वाहन
जिले में लोदीपुर, कंकड़बाग, पटना सिटी, सचिवालय, फुलवारीशरीफ, दानापुर, बिहटा, बाढ़, पालीगंज और मसौढ़ी में फायर स्टेशन हैं। सभी फायर स्टेशन पर दमकल की गाड़ी, फायर मैन और होमगार्ड जवान से लेकर पदाधिकारियों की तैनाती है। लेकिन चालकों की संख्या कम है। ऐसी स्थिति राज्य के अधिकांश फायर स्टेशनों की है। इसके तहत राज्य में 891 अग्निशमन चालकों की बहाली होनी है। इसमें 74 चालकों की बहाली हो चुकी है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो आचार संहिता लगने की वजह से बहाली रोक दी गई है। दो महीने में 268 वाटर मिक्स टेक्नोलॉजी गाड़ियां थानों पर भेजी जा चुकी हैं।
पायलट प्रोजेक्ट में है मिक्स टेक्नोलॉजी बाइक
कंकड़बाग, राजीव नगर, पत्रकारनगर, दीघा, पाटलिपुत्र, एसकेपुरी दर्जन भर थाना क्षेत्रों में कई ऐसे मुहल्ले हैं जहां की संकरी गलियों की वजह से दमकल की गाड़ी आसानी से नहीं पहुंच सकती है। पिछले माह दीघा थाना क्षेत्र में स्थित झोपड़ियों में आग लग गई। दमकल की गाड़ी दीघा पहुंच तो गई लेकिन संकरी गली की वजह से बाहर ही खड़ी रही। फायर मैन किसी तरह दमकल गाड़ी की पाइप को जोड़ते हुए आगे तक ले गए। तब तक कई झोपड़ियां जलकर राख हो चुकी थीं। विभाग इससे निपटने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत बीस मिक्स टेक्नोलॉजी की बाइक खरीद रही है। हालांकि यह बाइक अभी तक अग्निशमन विभाग तक नहीं पहुंची है।
हाईडेंट की कमी, होटलों से भरते हैं पानी: अग्निकांड की स्थिति में दमकल में पानी भरने के लिए बड़े होटलों का सहारा लेना पड़ता है। शहर में बने हाईडेंट सड़कों के नीचे दब गए हैं।
हर साल आग की घटना में मरते हैं सैकड़ों
अरबों रुपये की संपत्ति आग में हो चुकी है राख विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश में वर्ष 2005 से वर्ष 2010 के बीच 17 हजार 392 अग्निकांड हुआ। इसमें 129 लोगों की मौत हो गई। वहीं 2011 में 3700 अग्निकांड में 94 की मौत, वर्ष 2012 में छह हजार अग्निकांड और में 152 की मौत। वर्ष 2013 में 5977 अग्निकांड में 162 की मौत हुई। 2014 में 64 सौ अग्निकांड और मौत 127 की हुई। वर्ष 2015 में करीब सात हजार अग्निकांड में 107 की मौत हुई। अग्निकांड में करीब सात हजार जानवरों की मौत भी हुई।
मरम्मत के लिए भेजा गया है प्रस्ताव
डीआइजी फायर सर्विस पंकज सिन्हा का कहना है कि 14 से 20 अप्रैल तक फायर सेफ्टी वीक मनाया जाएगा। इसके तहत लोगों को जागरूक और सतर्कता से जुड़ी जानकारी दी जाएगी। हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म की मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। चालक बहाली में 891 अभ्यर्थियों में 74 का फाइनल हो चुका है। शेष का मेडिकल के बाद अन्य प्रक्रियाएं जारी हैं। चुनाव आयोग को इस संबंध में पत्र लिखा जाएगा।