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बिहार में अवैध बालू खनन में पांच साल पहले हुई एफआइआर बढ़ाएगी परेशानी, कार्रवाई की रिपोर्ट तलब

विभाग ने समीक्षा बैठक में छापामारी के बाद प्राथमिकी ना होने की शिकायत पर जिलों से जानकारी मांगी है। खान एवं भू-तत्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दिसंबर महीने में हुई समीक्षा में यह बात सामने आई थी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:59 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 09:59 PM (IST)
बिहार में अवैध बालू खनन में पांच साल पहले हुई एफआइआर बढ़ाएगी परेशानी, कार्रवाई की रिपोर्ट तलब
बिहार में अवैध बालू खनन के पुराने मामले भी महंगे पड़ेंगे। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: खान एवं भू-तत्व विभाग ने जिलों के खनन पदाधिकारियों से पिछले पांच वर्ष में अवैध खनन, इसके परिवहन से जुड़े मामलों में दर्ज प्राथमिकी और उसके आधार पर दोषियों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है। विभाग ने समीक्षा बैठक में छापामारी के बाद प्राथमिकी ना होने की शिकायत पर जिलों से जानकारी मांगी है। खान एवं भू-तत्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दिसंबर महीने में हुई समीक्षा में यह बात सामने आई थी कि तीन महीने में अवैध खनन के खिलाफ 24 हजार से अधिक छापामारी अभियान चले, लेकिन प्राथमिकी साढ़े 11 सौ के करीब ही दर्ज हुई।

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  • - अवैध कारोबारियों पर पड़ते हैं छापे पर नहीं होती प्राथमिकी
  • - अब विभाग ऐसे मामलों को लेकर अपना रहा सख्त रवैया 

8528 प्राथमिकी दर्ज कराई गईं

इसके पूर्व 2017-18 में अवैध खनन के मामलों में 8528 प्राथमिकी दर्ज कराई गई थीं। परंतु सरकार तक यह बात नहीं आई कि प्राथमिकी के बाद दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई। हाल ही में प्रधान सचिव खनन की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह जानकारी सामने आने के बाद सभी जिलों के खनन पदाधिकारियों से पांच वर्ष में दर्ज की गई प्राथमिकी, इसके आधार पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट जिलों को तत्काल खनन मुख्यालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि जिले अपनी रिपोर्ट भेजने के पहले थानों से समन्वय बना लें। 

प्राथमिकी होती भी हैं तो काफी कम

विभाग के सूत्रों ने बताया कि अधिकांश जिले अवैध खनन, परिवहन, भंडारण के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, लेकिन प्राथमिकी नहीं करते हैं। प्राथमिकी होती भी हैं तो काफी कम होती हैं। जिससे संदेह पैदा होता है कि कहीं कोई गड़बड़ अवश्य है। सूत्रों ने बताया इस वर्ष  सभी 38 जिलों में कार्रवाई हुई। छापेमारियां भी हुई, लेकिन 12 जिलों में कोई प्राथमिकी नहीं की गई। 26 जिलों में ही प्राथमिकी हुई। उनका भी औसत काफी कम है। 


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