पटना हाईकोर्ट को सता रहा डर, संदिग्ध बहुमंजिला इमारत पर मुख्य न्यायाधीश करेंगे पर विचार
पटना हाईकोर्ट के पास एक मजार से सटे बन रही नई इमारत ने न्यायाधीशों को भी चिंता में डाल दिया है। हाईकोर्ट के नए भवन के समीप अवैध तरीके से भवन बनाने पर पूर्ण पीठ ने लिया संज्ञान मुख्य न्यायाधीश के विचाराधीन गया मामला
पटना, राज्य ब्यूरो। पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) की पांच जजों वाली संवैधानिक पीठ ने हाईकोर्ट के नजदीक मजार के पास अवैध तरीके से बहुमंजली इमारत बना लेने को गंभीरता से लिया है। पूर्ण पीठ ने मुख्य न्यायाधीश संजय करोल से आग्रह किया है कि वे इस मसले पर उचित कार्रवाई करें।
कोर्ट को कई सवालों के चाहिए जवाब
पूर्ण पीठ को जानकारी नहीं मिल पाई कि इमारत किसकी अनुमति से बनी है? क्या इसके लिए पटना नगर निगम से नक्शा पास हुआ था और क्या निगम ने इसकी इजाजत दी थी? मामले पर जब सुनवाई हुई तो यह भी पता नहीं चल सका कि इमारत को बनाने में किसका हाथ है और क्या यह हाईकोर्ट के दृष्टिकोण से सुरक्षित है?
कोर्ट की आपत्ति के बाद भी निर्माण जारी
सुनवाई के दौरान पता चला कि इमारत अभी भी लगातार बनती जा रही है, जबकि हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग एकदम इससे सटा हुआ है। हाईकोर्ट की सुरक्षा के लिहाज से यह कतई उचित नहीं है। बताते चलें कि मजार पर लगातार लाउडस्पीकर बजाए जाने को लेकर भी हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था। बवाल भी हुआ था। उसके बाद मजार की देखभाल करने वालों ने भविष्य में इस प्रकार की गतिविधि नहीं करने का भरोसा दिया था। लाउडस्पीकर बजने और अज़ान से हाईकोर्ट प्रभावित होता था और न्यायिक कार्यवाही में बाधा पड़ती थी।
कोर्ट को सुरक्षा से जुड़ा खतरा तो नहीं
राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने बताया कि न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह, न्यायमूर्ति विकास जैन, न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार मिश्रा, न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह व न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ के समक्ष ड्रग्स एवं कॉस्मेटिक्स एक्ट से संबंधित मामले की सुनवाई चल रही थी तो उक्त मामला पीठ के संज्ञान में आया। उसी दौरान पीठ ने हाईकोर्ट के महानिबंधक को बुलाकर इमारत के संबंध में जानकारी मांगी और मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष सौंप दिया। इस बीच, पीठ ने उक्त भवन निर्माण के संबंध में विभाग से जुड़े संबंधित अधिकारियों से जानकारी देने को कहा है कि भवन के मालिक कौन हैं? नक्शा स्वीकृत है या नहीं? और क्या भवन का निर्माण सुरक्षा की दृष्टि से कहीं खतरा तो नहीं है आदि।