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हार्वेस्‍टर से धान काटने वाले किसान हो जाएं सावधान, शेखपुरा के 123 किसानों पर गिर गई है गाज

Farmers Alert News धान कटनी में हार्वेस्टर चलाने की लेनी होगी अनुमति हार्वेस्टर वालों को धान का अवशेष नहीं छोडऩे का देना होगा शपथ-पत्र धान का अवशेष जलाने पर शेखपुरा जिले के 123 किसानों का निबंधन किया गया रद

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 09:19 AM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 09:19 AM (IST)
हार्वेस्‍टर से धान काटने वाले किसान हो जाएं सावधान, शेखपुरा के 123 किसानों पर गिर गई है गाज
हार्वेस्‍टर से फसल काटने वालों पर सरकार की नजर। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

शेखपुरा, जागरण संवाददाता। खेतों में धान का अवशेष जलाने पर इस साल व्यवस्था को और भी सख्त कर दिया गया है। धान का अवशेष जलाने पर जिले के 123 किसानों का निबंधन रद किया गया। वहीं इस साल हार्वेस्टर से धान की फसल की कटनी करनी है तो इसके लिए कृषि विभाग में आवेदन देना होगा। इस आवेदन पर अंतिम अनुमति डीएम देंगे। हार्वेस्टर वाले को पराली प्रबंधन करना होगा और खेत में धान का अवशेष नहीं छोडऩे का शपथ-पत्र देना होगा। हार्वेस्टर रखने वालों को धान का अवशेष प्रबंधन के लिए हैप्पी-सीडर मशीन भी रखना होगा। पिछले साल खेतों में धान का अवशेष जलाने के मामले में 123 किसानों को चिह्नित करके उनका निबंधन 3 साल के लिए रद किया गया है।

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जिला कृषि पदाधिकारी शिवदत्त सिन्‍हा ने बताया रबी की खेती को लेकर अभी गांवों में किसान चौपाल का आयोजन हो रहा है। इन चौपालों में किसानों को खेतों में धान का अवशेष नहीं जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। प्रबंधन के लिए किसान भी सीधे हैप्पी-सीडर मशीन खरीद सकते हैं। सरकार इसके लिए 75 प्रतिशत अनुदान देती है। खेतों में पराली जलाने से पर्यावरण को नुकसान होने के साथ खेतों की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है।

35 हजार हेक्टेयर में रबी की खेती

चालू रबी सीजन में जिला में 35 हजार हेक्टेयर में रबी की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 22 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती होगी। इसके अलावा 3800 हेक्टेयर में चना, 4910 में मसूर, 1140 में मटर, 100 में मक्का, 1190 में राई, 350 में सूर्यमुखी की खेती होगी। कृषि पदाधिकारी ने बताया रबी महोत्सव के तहत गांवों में किसान चौपाल हो रहा है। सभी प्रखंडों में रबी महोत्सव का आयोजन करके किसानों को रबी की खेती की जानकारी दी गई है। अभी किसान चौपाल में भी किसानों को मौसम और जलवायु आधारित खेती की जानकारी दी जा रही है।


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