बिहार के 264 प्राइवेट औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की होगी जांच
बिहार में 1063 निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान संचालित हो रहे हैं।
पटना। बिहार में 1063 निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान संचालित हैं। इनमें से 264 संस्थानों में प्रशिक्षण की मूलभूत आधारभूत संरचना की कमी है। सरकार ने समीक्षा के क्रम में पाया है कि ऐसे संस्थान बगैर थ्री-पेज विद्युत कनेक्शन लिये, आवश्यक टूल्स और मशीन लगाये विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने के नाम पर कागजी कार्रवाई में संलिप्त हैं। इतना ही नहीं, इन संस्थानों में नामांकन, शिक्षण एवं परीक्षा शुल्क में काफी असमानता है। इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया (क्यूसीआइ) द्वारा तय मानकों के अनुरुप शिक्षण, प्रशिक्षण और संसाधनों की जांच की कार्रवाई करने का आदेश दिया है। जो संस्थान मानकों की कसौटी पर सही नहीं पाए जाएंगे तो उसकी मान्यता रद्द करने की अनुशंसा केन्द्र सरकार से की जाएगी।
बगैरह मान्यता के ट्रेड में दाखिले पर कार्रवाई
श्रम संसाधन विभाग की समीक्षा में निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में कई तरह की अनियमितता प्रकाश में आई है। 20 फीसद से ज्यादातर संस्थानों में शैक्षणिक आधारभूत संरचना की कमियां हैं। बगैरह मान्यता वाले ट्रेड में भी विद्यार्थियों का नामाकंन लिया गया है। इस पर विभाग ने आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दिया है। ऐसे संस्थानों से थ्री-फेज विद्युत कनेक्शन का दस्तावेज और कितनी बिजली खर्च होती है और कितना बिजली बिल चुकाया है, इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। विद्यार्थियों की प्रायोगिक कक्षाएं संबंधी रिपोर्ट भी तलब की गई है। विभाग के मुताबिक ऐसे संस्थानों में उपकरण की कौन कहे, आवश्यक भवन और कक्षाएं तक नहीं हैं। एस्बेस्ट्स वाले एक-दो कमरे में ही कई ट्रेड के प्रशिक्षण की मान्यता मिली हुई है। ऐसे ज्यादातर संस्थान ग्रामीण इलाकों में स्थापित हैं। चूंकि प्राइवेट आइटीआइ खोलने और मान्यता देने की अनुमति केंद्र सरकार देती है। इसलिए राज्य सरकार ऐसे संस्थानों की बुनियादी सुविधाओं की कमी होने पर भी कार्रवाई नहीं कर पाती है। मगर इस बार प्राइवेट संस्थानों को लेकर केंद्र सरकार ने गंभीरता दिखाई है और जांच के लिए राज्य सरकार से सहयोग मांगा है। ऐसे में छात्रों से सिर्फ पैसे कमाने के लिए खोले गए प्राइवेट आइटीआइ पर शिंकजा कसने लगा है।
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कोट-
'कई निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा प्रशिक्षण के नाम पर खानापूरी करने का मामला प्रकाश में आया है। ऐसे संस्थान गरीब विद्यार्थियों का आर्थिक शोषण और अवैध वसूली के प्रतीक बनकर रह गए हैं। इन संस्थानों में न तो थ्री फेज का विद्युत कनेक्शन है और न ही प्रशिक्षण हेतु आधारभूत संरचना, आवश्यक टुल्स एवं मशीन ही लगाई गई हैं। ऐसे संस्थानों के विरुद्ध जांच कर आवश्यक कारवाई का आदेश दिया गया है। जिन संस्थानों में हल्की-फुल्की कमियां हैं उन्हें सुधार का अंतिम मौका देने का निर्देश दिया गया है कि वे कमियों को सुधार कर लें।'
-श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा
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