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आंखों की रोशनी छीन सकती है काला मोतिया की बीमारी, समय रहते इलाज कराना जरूरी

...ताकि काला मोतिया छीन न ले आंखों का नूर ग्लूकोमा से बचाव को आगे आए 50 से अधिक अस्पताल-मेडिकल कॉलेज बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके जन-जन तक पहुंचाने की पहल सरकार से भी करेंगे मदद की अपील

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 08:06 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 08:06 AM (IST)
आंखों की रोशनी छीन सकती है काला मोतिया की बीमारी, समय रहते इलाज कराना जरूरी
आंखों की रोशनी छीन सकती है यह बीमारी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। Eye Problem Treatment: काला मोतिया एक ऐसी बीमारी है, जिससे आंखों की रोशनी धीरे-धीरे खत्म होती है और जब तक रोगी को पता चलता है काफी देर हो चुकी होती है। इससे गई  रोशनी दोबारा वापस नहीं आती। यह बीमारी आंखों का  प्रेशर बढऩे से नसों के सूखने के कारण होती है। यह आनुवंशिक कारणों से भी होती है। मधुमेह व मायोपिया के रोगी अक्सर इस  रोग से पीड़‍ित होते हैं।

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आंखों को सुरक्षित रखने के लिए जागरुकता जरूरी

बिहार ऑप्थलमोलॉजी सोसायटी और ऑल ऑप्थलमोलॉजी सोसायटी के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को प्रदेश के 50 से अधिक अस्पताल व सभी मेडिकल कॉलेजों में ग्लूकोमा (काला मोतिया) से बचाव को जागरूकता अभियान चलाया गया। बिहार ऑप्थलमोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. विभूति प्रसन्न सिन्हा ने बताया कि इस बीमारी से बचने लिए जागरूकता सबसे अहम चीज है। अगर आप जागरूक हों तो समय रहते इसका इलाज कराया जा सकता है।

इस बीमारी में धीरे-धीरे सूख जाती हैं आंख की नसें

पूर्व सचिव डॉ. सुनील कुमार सिंह ने बताया कि ग्लूकोमा रोग में आंखों में बनने वाला द्रव्य के बहाव में रुकावट आने से उनका प्रेशर बढ़ जाता है। इससे धीरे-धीरे आंखों की नसें सूख जाती है। यह कई प्रकार का होता है। सबसे सामान्य वृद्धावस्था का मोतियाबिंद है जो 45 से अधिक उम्र के लोगों को होता है।

जन्‍मजात भी हो सकती है यह बीमारी

यह बीमारी जन्मजात भी होती है। ऐसे में हर वर्ष जांच कराना जरूरी है और डॉक्टर से हर बार पूछना चाहिए कि उनमें इस  रोग के लक्षण तो नहीं हैं। विश्व में जितने लोग आंखों की रोशनी खोते हैं उसमें ग्लूकोमा सबसे बड़ा कारण है। सोसाइटी के पदाधिकारियों ने कहा कि जागरूकता अभियान को और तेज किया जाएगा। साथ ही स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर अपने सुझाव समर्पित करेंगे ताकि इलाज के अभाव में किसी के आंखों की  रोशनी नहीं जाए।


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