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पूर्व सांसद पप्पू यादव को पटना हाईकोर्ट से मिली निराशा, जेल से जल्द बाहर आने की उम्मीद कम

पप्पू यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मधेपुरा के एक 32 वर्ष पुराने मामले में निकले वारंट के आधार पर मधेपुरा जेल में बंद पप्पू को पटना हाई कोर्ट से निराशा मिली है। अभी कुछ दिन और पप्पू को जेल में ही रहना पड़ेगा।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 01:20 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 01:20 PM (IST)
पूर्व सांसद पप्पू यादव को पटना हाईकोर्ट से मिली निराशा, जेल से जल्द बाहर आने की उम्मीद कम
जन अधिकार पार्टी (जाप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना : पटना हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद पप्पू यादव की जमानत अर्जी पर जल्दी सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की पीठ में वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने पप्पू यादव की अर्जी पर तुरंत सुनवाई करने का अनुरोध किया, लेकिन अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और कहा कि वे निर्धारित प्रक्रिया के तहत सुनवाई के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। वर्मा ने बताया कि अब ऑनलाइन आवेदन दे दिया गया है।

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योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि हत्या के लिए अपहरण का यह मामला बहुत पुराना है। सन् 1989 में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। 19 सितंबर, 2020 को जारी गिरफ्तारी वारंट रद करने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी पिछले साल 21 अक्टूबर को दी गई थी, लेकिन कोरोना को लेकर मामले की सुनवाई नहीं हो सकी।

जानें क्यों बढ़ी परेशानी

उन्होंने बताया कि जब निर्धारित समय पर पुलिस चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी तो निचली अदालत ने सीआरपीसी की धारा 167 का लाभ देते हुए पप्पू यादव को जमानत दे दी थी, लेकिन अदालत में हाजिर नहीं होने के कारण निचली अदालत ने 16 दिसंबर 1993 को उनकी जमानत रद्द कर दी। उसके बाद 21 जनवरी, 2019 को निचली अदालत ने गिरफ्तारी का गैर जमानती वारंट जारी किया, परंतु स्थानीय चौकीदार ने उस वारंट को भुला दिया। तब निचली अदालत ने 19 सितंबर, 2020 को फ्रेश वारंट जारी किया। फिलहाल इसी मामले में वे जेल में बंद हैं।

..बताया कि अपहरण हुआ ही नहीं

योगेशचंद्र वर्मा ने कहा कि इस मामले के अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध अलग से ट्रायल चला था और वे सभी निर्दोष पाए गए। जिन लोगों के अपहरण की बात एफआइआर में कही गई थी उन्हीं लोगों ने कोर्ट को बताया कि उनका अपहरण हुआ ही नहीं था। इसीलिए एफआइआर को ही रद करने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी लगाई गई है। पप्पू यादव केवल तकनीकी कारणों से जेल भेजे गए हैं, चूंकि कोरोना के चलते न मधेपुरा के वकील काम कर रहे हैं और न ही हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है। 

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