यशवंत सिन्हा ने पूछा- पूछा, क्यों मनाया जा रहा नोटबंदी पर जश्न, पता नहीं किसे फायदा हुआ
पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने केंद्र की मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि केंद्र सरकार हर बात में झूठ का सहारा लेती है। नोटबंदी सरकार की विफलता है।
पटना [जेएनएन]। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निजी क्षेत्र में आरक्षण की राय पर उनकी आलोचना करते हुए मांग उठाई है कि नीतीश विधानसभा में प्रस्ताव लाएं। फिर उसे केंद्र को भेजें। निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए सिर्फ जुबानी खर्च से कर्म नहीं चलेगा। उन्हें प्रस्ताव लाना चाहिए।
सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भी व्यंग्य किए। नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए सिन्हा ने कहा कि जश्न मनाने की जगह जनता को बताया जाना चाहिए कि नोटबंदी से देश को कितना नुकसान हुआ।
यशवंत सिन्हा शुक्रवार को पटना के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में वंचित वर्गो से जुड़ी संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ जदयू नेता उदय नारायण चौधरी की ओर से किया गया था, जो कुछ दिनों से आरक्षण के मुद्दे पर सरकारों की मंशा पर सवाल उठा रहे। सिन्हा ने कहा कि वंचित वर्गों के उत्थान के लिए आरक्षण की समीक्षा करने और अलग से आयोग बनाने की जरूरत है।
सिन्हा ने अपना संबोधन शुरू करते ही भाईयों, बहनों बोलने के बाद मित्रों कहने से परहेज किया। मित्रों बोलने के लिए इशारों ही इशारों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यंग्य किए। इस बीच उदय नारायण चौधरी ने उनसे आग्र्रह किया कि वे सीट पर बैठकर ही भाषण दें। सिन्हा ने मजाक किया कि देश का वित्त मंत्री खुद लोकसभा में घंटे-दो घंटे खड़ा होकर बजट भाषण नहीं पढ़ सकता और वह भी कह रहा कि 80 वर्ष की उम्र में लोग काम खोज रहे हैं।
नोटबंदी पर जश्न मनाना अनुचित
सिन्हा ने कहा कि भाजपा नोटबंदी की वर्षगांठ और काला धन विरोधी दिवस मना रही। जश्न मनाने के पहले लोगों को पता होना चाहिए कि नोटबंदी से कालाधन कितना आया। लोगों को बताया जाना चाहिए कि इसके क्या लाभ-नुकसान हुए। जनता को बताया जाना चाहिए कि नोटबंदी से देश को कितना नुकसान हुआ।
जीडीपी 12 फीसद से घटकर 9 फीसद पर पहुंच गया। इसके कारण आम आदमी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि एक राज्य में चुनाव के कारण संसद सत्र समय पर नहीं बुलाया जा रहा है। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है।