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इस सीट पर हर बार बदल जाता है विजेता का चेहरा, बिहार विधान परिषद चुनाव में इस बार क्‍या होगा

स्थानीय प्राधिकार कोटे से पहली बार चुनाव जीत विधान परिषद के उपसभापति बने थे सलीम परवेज। वर्तमान में सच्चिदानंद राय हैं विधान पार्षद। 2003 में रघुवंश प्रसाद यादव पहली बार यहां के विधान पार्षद निर्वाचित हुए थे। तब चुनाव दलीय आधार पर नहीं हुआ था।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 05:06 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 05:06 PM (IST)
इस सीट पर हर बार बदल जाता है विजेता का चेहरा, बिहार विधान परिषद चुनाव में इस बार क्‍या होगा
रघुवंश प्रसाद यादव, सलीम परवेज और ई सच्चिदानंद राय। फाइल फोटो

छपरा, जागरण संवाददाता। Bihar MLC Election: बिहार विधान परिषद के स्थानीय निकाय के तहत 24 सीटों पर होने वाले चुनाव की सुगबुहागट तेज हो गई है। नगर निकायों के प्रस्तावित चुनाव के पहले विधान परिषद के इन सीटों पर चुनाव के कयास हैं। इनमें से एक सीट सारण का भी है। वर्तमान में यहां भाजपा का कब्‍जा है।सारण के विधान परिषद सीट के लिए चुनावी अखाड़ा सजने के पूर्व सियासत गरमा गई है। सत्ता व विपक्षी खेमे में अभी से रणनीति तेज हो गई है। चुनावी लड़ाकों की तस्वीर अभी पूरी तरह साफ नहीं है। पंचायत चुनाव संपन्न होने के साथ दोनों ओर के नेता सक्रिय हो गए हैं। अब सारण सीट की बात करें तो यहां का रिकार्ड बड़ा दिलचस्‍प रहा है। पिछले तीन चुनावों की बात करें तो हर बार विजेता का चेहरा बदल गया है।  

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पहले चुनाव में हुआ था यहां त्रिकोणीय संघर्ष

पंचायती राज व्यवस्था 2001 में सुदृढ़ होने के बाद विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे का पहला चुनाव 2003 में हुआ था। यह चुनाव दलगत आधार पर नहीं हुआ था और चुनाव मैदान में उतरने वाले सभी योद्धा निर्दलीय उतरे थे। सारण में यह मुकाबला त्रिकोणीय हुआ था। बाजी मारी मढ़ौरा के तत्कालीन विधायक स्व यदुवंशी राय के अनुज और वर्तमान विधायक जितेन्द्र कुमार राय के चाचा रघुवंश प्रसाद यादव ने। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी महाराजगंज के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के निकट संबंधी विनय सिंह रहे थे। सोनपुर के बच्चा सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे।

विधान परिषद के उपसभापति बने सलीम

बिहार विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार कोटे के चुनाव का दूसरा अखाड़ा 2009 में सजा। यह चुनाव दलगत आधार पर हुआ। तत्कालीन विधान पार्षद रघुवंश प्रसाद यादव को राजद ने टिकट दिया। उनका मुकाबला तब के नये सियासी खिलाड़ी सलीम परवेज से हुआ। सलीम परवेज को जदयू ने अपना उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा। सलीम परवेज ने राजद प्रत्याशी को पराजित कर पहली बार विधान परिषद की दहलीज पर कदम रखा। वहां पहुंचने के बाद उन्हें विधान परिषद के उपसभापति की कुर्सी मिली।

सच्चिदानंद राय को पिछली बार मिला ताज

विधान परिषद के इस सीट की तीसरी रणभूमि 2015 में तैयार हुई। तत्कालीन विधान पार्षद व विधान परिषद के उपसभापति सलीम परवेज जदयू, राजद व कांग्रेस के महागठबंधन के प्रत्याशी बन चुनावी रण में उतरे। बीजेपी ने ई सच्चिदानंद राय को अपना प्रत्याशी बनाया। मुकाबला कड़ा था और परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहा। सच्चिदानंद राय पहली बार यह चुनाव लड़े और विजेता बन विधान परिषद पहुंच गए। वे विधान परिषद में पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष बने।


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