सभी को जीवन में होती है दोस्त की आवश्यकता
अभिनय में मानवीय संवेदनाओं का मिश्रण था।
अभिनय में मानवीय संवेदनाओं का मिश्रण था। कोई किसी का साथ नहीं दे रहा फिर भी वह अपने धुन में अकेले कलाकार आगे बढ़ रहा है। वह भीड़ से आगे निकलकर अपनी अनंत यात्रा पूरी करना है। उसे दोस्ती की कमी खलती है फिर भी वह आगे बढ़ता जाता है। ये सारा दृश्य मंगलवार को कालिदास रंगालय के प्रेक्षागृह में देखने को मिला। मौका था रंग सृष्टि की ओर से युवा रंगकर्मी सनत कुमार के निर्देशन में 'सृष्टि' नाटक के मंचन का।
फदा अपनी सारी जिंदगी का अनुभव पीठ पर उठाए विश्व भ्रमण करने निकलता है। अकेले भूख और प्यास से व्याकुल फदा बेहाल दिखता है। वह अपने दोस्त श्वान को याद करता है। जो स्वर्ग में रह जाता उसे छोड़कर आने का पछतावा फदा को खूब अखरता है। फदा को एहसास होता है कि उसके पीछे कोई आ रहा है। वह भयभीत हो जाता है। कुछ देर बाद पता चलता है कि उसके पीछे कोई और नहीं बल्कि उसका दोस्त श्वान है। श्वान से जब फदा से पूछता है कि तुम स्वर्ग से क्यों चले आए। श्वान फदा से कहता है कि तुम ही मेरे भगवान हो। श्वान बोलता है कि स्वर्ग में सभी जानवरों को भगवान अपने वाहन के रूप में स्वीकार करते हैं पर एक मैं ही हूं जिसे कोई भी देवता अपने वाहन के रूप में स्वीकार करना नहीं चाहता। एक मनुष्य ही है जो मुझे एक मित्र के रूप में स्वीकार करता है। फिर दोनों मित्र अनंत की यात्रा की ओर बढ़ते हैं। दोनों मित्र दूसरे देश दुर्ग की ओर बढ़ जाते हैं। तभी राज्य के सुरक्षा प्रमुख दोनों मित्रों को आगे जाने से रोक देते हैं। वहीं श्वान अंदर चला जाता है। दूसरा मित्र फदा जो अपनी पीठ पर अनुभवों का पिटारा लिए है वह दूसरे देश दुर्ग में प्रवेश करने से वंचित रह जाता है। दुर्ग में मंगलतंत्र का शासन होने के बावजूद स्त्रियों का चिरहरण, बालात्कार, अपमान आदि घटनाएं घटित होती हैं। जहां मानवीय गुणों का क्षय होता है। सृष्टि की फिर से रचना, सभ्यता और संस्कृति को विकसित करने में दोनों मित्र मिलकर नए तरीके से काम करते हैं। मंच पर अंकित कुमार पांडेय, पूजा भारती, शुभम कुमार, अवनीश कुमार, राजदीप कुमार, विश्वजीत कुमार, विशेन्द्र नारायण सिंह, विकास कुमार, दुर्गेश कुमार, प्रिया कुमारी, नेहाल कुमार सिंह, सुनील कुमार, धीरज कुमार, चंदन कुमार, आरसी जेटली आदि ने अभिनय किया।