आज भी बिहार के बक्सर जिला में 30 प्रतिशत से ज्यादा हैं बालिका वधू
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार बक्सर में 18 साल से पहले 100 में 30 लड़कियों की शादी हो जा रही है। पांच साल पहले 37.5 प्रतिशत लड़कियों की शादी बचपन में ही हो जाती थी। 15 से 19 साल के बीच अब ज्यादा लड़कियां मां बन जा रही हैं।
बक्सर, राजेश तिवारी । 17 साल की उम्र में जिले के राजपुर के रहने वाले राम निवास ने जब अपनी बेटी की शादी की तो समाज में उनकी खूब किरकिरी हुई। लोगों ने कहा कि लड़कियों की शादी कम उम्र में करना ठीक नहीं है। सरकार की नजर में भी यह गलत है और सरकार ने इस पर पाबंदी भी लगाई है। हालांकि, राम निवास का तर्क इससे बिल्कुल अलग था। उनका कहना था कि उन जैसे गरीब आदमी को एक अच्छा लड़का मिल गया तो उन्होंने उसे गंवाना मुनासिब नहीं समझा।
समाज में जागरूकता की कमी
दरअसल, यह समस्या केवल राम निवास के साथ नहीं है। यह तो मजह एक उदाहरण हैं। समाज में इस तरह के कई उदाहरण मिल जाएंगे। असल में, हमारे समाज की संरचना भी इसके लिए जिम्मेवार है। इस परिस्थिति में लड़कियों की शादी उम्र भले ही 21 साल निर्धारित है परंतु, आज के आधुनिक दौर में भी 18 साल से पहले ही लड़कियों की शादी हो जा रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो बक्सर जैसे कस्बाई जिले में भी आपको 30 फीसद बालिका वधू मिल जाएंगी। आज के इस दौर में भी अभी भी यहां 100 में 30 लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जा रही है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे में यह सच सामने आया है।
पहले से करीब सात प्रतिशत कम हुए बाल विवाह के मामले
हालांकि, सुखद स्थिति यह कि पिछले पांच सालों में बाल विवाह के आंकड़े में कमी आई है। यह बात और है कि अभी भी लंबी दूरी तय करना बाकी है। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों पर गौर करें तो आज के परिदृश्य में 18 साल से कम उम्र में 30.8 प्रतिशत लड़कियों की शादी हो जा रही है। हालांकि, पांच साल पहले यह आंकड़ा 37.5 था। इस लिहाज से देखा जाए तो इसमें जागरूकता परिलक्षित होती है।
15 से 19 साल के बीच मां बनने की संख्या में हुई वृद्धि
कम उम्र में शादी होने के बाद कम उम्र में मां बनने की बिडम्बना भी कम नहीं है। इस मामले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार 15 से 19 साल की उम्र में मां बनने या इस उम्र की लड़कियों के गर्भवती होने का प्रतिशत 7.2 है। जबकि, पांच साल पहले इसमें जिले की बेहतर स्थिति थी। तब 5.5 प्रतिशत लड़कियां ही इस उम्र में मां बनती थी या गर्भवती होती थी। यहां बता दें कि चिकित्सक इस उम्र में मां बनने को खतरे से खाली नहीं मानते। चिकित्सक इस मामले में भी लोगों को जागरूक होने पर बल देते हैं।