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Lok Sabha Election Results: जद्दोजहद के बाद भी पत्नी-बेटे विरासत नहीं बचा पाए इन सीटों पर

बिहार में लोस चुनाव में कई सीटों पर विरासत बचाने की जंग हुई। इसमें तीन सीटों पूर्वी चंपारण सीवान और महाराजगंज की खास चर्चा थी और राजनेताओं की नजर भी लगी हुई थी। जानें इस खबर में।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 07:29 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2019 08:25 PM (IST)
Lok Sabha Election Results: जद्दोजहद के बाद भी पत्नी-बेटे विरासत नहीं बचा पाए इन सीटों पर
Lok Sabha Election Results: जद्दोजहद के बाद भी पत्नी-बेटे विरासत नहीं बचा पाए इन सीटों पर

पटना [राजेश ठाकुर]। बिहार में लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर विरासत बचाने की जंग हुई। इसमें तीन सीटों पूर्वी चंपारण, सीवान और महाराजगंज की खास चर्चा थी और इन तीनों सीटों पर राजनेताओं की नजर भी लगी हुई थी। लेकिन इन सीटों पर ताल ठोक रहे पूर्व सांसदों के सगे-संबंधी खरा नहीं उतर पाए। पूर्वी चंपारण से पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश सिंह के पुत्र आकाश कुमार सिंह महागठबंधन के तहत रालोसपा से किस्‍मत आजमा रहे थे तो सिवान से पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब तथा महाराजगंज से पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र रणधीर सिंह महागठबंधन के त‍हत राजद से मैदान में उतरे थे। तीनों जगह एनडीए प्रत्‍याशियों की जीत हुई।

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सिवान: पति शहाबुद्दीन की सीट को नहीं बचा पाई हिना शहाब

सिवान में बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्‍नी हिना शहाब को बाहुबली अजय सिंह की पत्‍नी कविता सिंह ने पराजित किया। दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 में सिवान बिहार का सबसे चर्चित क्षेत्र था। खासकर शहाबुद्दीन के चुनाव जीतने और अचानक कई संगीन अपराधों में उनके नाम आने के बाद यह क्षेत्र काफी चर्चा में आ गया। कालांतर में कानून का शिकंजा कसा और शहाबुद्दीन को जेल की सजा हो गई। अभी भी वे दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। उनकी जगह पत्नी हिना शहाब ने राजद से नामांकन किया। प्रचार भी जमकर किया। कई बार तेजस्‍वी यादव खुद प्रचार में गए।, लेकिन अपने पति की राजनीतिक विरासत को हिना शहाब नहीं बचा पाई। बता दें कि शहाबुद्दीन राजद के टिकट पर पहली 1996 में चुनाव जीते थे। फिर वे 1998, 1999 व 2004 में सांसद बने। 

पूर्वी चंपारण: अखिलेश सिंह की विरासत नहीं बचा पाए आकाश 

पूर्वी चंपारण में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह की राजनीतिक विरासत को उनके पुत्र आकाश कुमार सिंह नहीं बचा पाए। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने उन्‍हें एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया। आकाश पहली बार चुनाव लड़ रहे थे। वे महागठबंधन के तहत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी (रालोसपा) के टिकट पर खड़ा हुए थे। अखिलेश सिंह 2004 में राजद के टिकट पर इस सीट से चुनाव जीते थे, लेकिन 2009 में भाजपा के राधामोहन सिंह ने उन्हें हरा दिया। आगे 2014 में भी राधामोहन सिंह की ही जीत हुई। और अब राधामोहन सिंह ने इस बार आकाश को भी हरा दिया। इस तरह, राधा मोहन सिंह ने यहां से अपनी छठी जीत दर्ज की है। 


महाराजगंज: पिता प्रभुनाथ सिंह की सीट को नहीं बचा पाए रंधीर 

महाराजगंज के नए 'महाराज' बने भाजपा के जर्नादन सिंह सिग्रीवाल। सिग्रीवाल ने कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह के बेटे रंधीर सिंह को पराजित कर दिया। महाराजगंज से प्रभुनाथ सिंह चार बार सांसद रहे हैं। लेकिन मोदी लहर में वे 2014 की लड़ाई हार गए थे। इसी बीच, उन्‍हें हत्‍या के एक मामले में जेल की सजा हो गई। तब अपने पिता की विरासत को बचाने उनके बेटे रंधीर सिंह खुद राजद के टिकट पर मैदान में आ गए। रंधीर सिंह सीधी लड़ाई में भाजपा के जर्नादन सिंह सिग्रीवाल से हार गए। फिलहाल प्रभुनाथ सिंह झारखंड के हजारीबाग जेल में सजा काट रहे हैं और पहली बार उनकी अनुपस्थिति में उनके बेटे रंधीर सिंह चुनाव लड़ रहे थे।

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