बिहार में धान की फसल के अवशेष से भी बनेगा इथेनॉल, पॉलिसी बनाने में जुटी है राज्य सरकार
बिहार में इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही कृषकों को भी लाभ देने की तैयारी अभी हरियाणा की सरकार ने पानीपत में एक यूनिट को दी है अनुमति बिहार में बन रही पॉलिसी में कई तरह के इंसेंटिव का भी होगा इंतजाम
पटना, राज्य ब्यूरो। Ethanol Manufacturing Policy in Bihar: बिहार में इथेनॉल उत्पादन की इकाई लगाने को ले उद्योग विभाग (industry department of Bihar) जल्द ही नयी पॉलिसी लाएगा। इस पॉलिसी पर विभाग ने काम आरंभ किया है। पॉलिसी में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि धान के फसल अवशेष से भी इथनॉल बनाए जाने को भी बड़े स्तर पर प्रोत्साहित किया जाएगा। बिहार में अभी इस तरह की कोई यूनिट नहीं है। हाल ही में हरियाणा की सरकार ने धान के फसल अवशेष से इथेनॉल बनाए जाने को अनुमति प्रदान की है। नयी पॉलिसी को ले इस तकनीक का अध्ययन किया जा रहा है।
गन्ना से इथेनॉल बनाए जाने के कांसेप्ट पर राज्य सरकार ने एक दशक से पहले ही काम आरंभ कर दिया था। उस समय पेट्रोल में एक तय मात्रा तक इथेनॉल बनाए जाने की अनुमति दी। इस बारे में राज्य सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजकर अनुमति मांगी थी। पर तब केंद्र की सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसके बाद यह ठंडे बस्ते में चला गया। वहीं केंद्र की सरकार ने पुन: इथेनॉल में बड़े स्तर पर दिलचस्पी ली है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक कार्यक्रम में कहा कि वह बिहार में एक सौ इथेनॉल की फैक्ट्री खोलें। इसके बाद इस दिशा में तेजी आयी है। मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों उद्योग विभाग की समीक्षा बैठक में इथेनॉल की इकाई पर काम करने को कहा था।
उद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि धान की फसल के अवशेष से इथेनॉल बनाए जाने की तकनीक आने से फसल अवशेष को जलाने की प्रवृत्ति बंद होगी और पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों को आर्थिक लाभ भी होगा। इथेनॉल के क्रय को लेकर किसी तरह की समस्या नहीं है। फसल अवशेष से बनने वाले इथेनॉल प्लांट स्थापित किए जाने को अलग से इंसेंटिव भी मिलेगा।